गर्भावधि मधुमेह (जैस्टेशनल डायबिटीज)
- क्या मैं गर्भावधि मधुमेह से बचने के लिए कुछ कर सकती हूं?
- कैसे पता चलेगा कि मुझे गर्भावधि मुधुमेह है?
- मधुमेह होने से मेरे अजन्मे शिशु पर क्या प्रभाव पड़ता है?
- गर्भावधि मधुमेह का उपचार किस तरह होता है?
- मधुमेह मेरे शिशु के जन्म को किस तरह प्रभावित करेगी?
- गर्भावधि मधुमेह जन्म के बाद शिशु को किस तरह प्रभावित करेगी?
- क्या शिशु के जन्म के बाद भी मुझे मधुमेह रहेगी?
- अगर मुझे पहले गर्भावधि मधुमेह हो चुकी है, तो क्या यह दोबारा हो सकती है?
गर्भावधि मधुमेह (जैस्टेशनल डायबिटीज) क्या है?
गर्भावधि मधुमेह (जैस्टेशनल डायबिटीज) तब होती है, जब गर्भावस्था के दौरान आपके खून में शर्करा (ग्लूकोस) की मात्रा काफी ज्यादा हो जाती है।अगर, आपका शरीर इंसुलिन नामक हार्मोन का पर्याप्त मात्रा में उत्पादन नहीं कर रहा होता, तो आपकी रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) का स्तर बढ़ सकता है। इंसुलिन हमारी निम्न तरीके से मदद करती है:
- शरीर की मांसपेशियों और ऊत्तकों की मदद करती है, ताकि वे ऊर्जा के लिए रक्त शर्करा का इस्तेमाल कर सकें
- जिस रक्त शर्करा की अभी जरुरत नहीं है, शरीर में उसके संग्रहण में मदद करती है
जब आप गर्भवती होती हैं, तो आपके शरीर को अतिरिक्त इंसुलिन बनानी पड़ती है, खासकर कि मध्य गर्भावस्था के बाद से। आपको अतिरिक्त इंसुलिन की इसलिए जरुरत होती है, क्योंकि अपरा (प्लेसेंटा) के हार्मोन आपके शरीर को इसके प्रति कम प्रतिक्रियाशील बना देते हैं। यदि, शरीर इस अतिरिक्त इंसुलिन की मांग को पूरा नहीं कर पाता, तो आपका रक्त शर्करा का स्तर बढ़ जाएगा और आपको गर्भावधि मधुमेह हो सकती है।
खून में अत्याधिक शर्करा होने से आपके और आपके शिशु के लिए समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसलिए आपको गर्भावस्था के दौरान अतिरिक्त देखभाल में रहना होगा। गर्भावधि मधुमेह की समस्या काफी आम है और यह करीब छह गर्भवती मांओं में से एक को प्रभावित करती है।
अच्छी बात यह है, कि आमतौर पर शिशु के जन्म के बाद गर्भावधि मधुमेह स्वयं ठीक हो जाती है। यह जिंदगी भर चलने वाली टाईप 1 और टाईप 2 मधुमेह से अलग होती है।
गर्भावधि मधुमेह में अक्सर ऐसे लक्षण नहीं होते हैं, जिन्हें आसानी से पहचान लिया जाए, मगर आपको निम्नांकित कुछ लक्षण महसूस हो सकते हैं:
- थकान
- मुंह सूखना
- अधिक प्यास लगना
- अत्याधिक पेशाब आना
- थ्रश जैसे कुछ संक्रमण बार-बार होना
- धुंधला दिखाई देना
अगर, आपको इनमें से कोई भी लक्षण महसूस हों, तो अपनी डॉक्टर से बात करें।
क्या चीज गर्भावधि मधुमेह होने की संभावना को बढ़ाती है?
आपको गर्भावधि मधुमेह होने की संभावना ज्यादा हो सकती है, अगर:- आपका बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) 25 या इससे अधिक है।
- आप पहले 4.5 किलो या इससे अधिक वजन वाले शिशु को जन्म दे चुकी हैं।
- आपको पहले भी गर्भावधि मधुमेह हो चुकी है या फिर आपके करीबी रिश्तेदारों को मधुमेह रही है।
- कुछ मानव प्रजातियों में मधुमेह होने का खतरा ज्यादा होता है, और दुर्भाग्यवश दक्षिण एशियाई प्रजाति उनमें से एक है। इसलिए, यदि आपके परिवार में मधुमेह या फिर गर्भावधि मधुमेह होने का इतिहास रहा है, तो आपको भी इसके होने की संभावना अधिक रहती है।
क्या मैं गर्भावधि मधुमेह से बचने के लिए कुछ कर सकती हूं?
इस बात की कोई गारंटी नहीं है, मगर हो सकता है आप नीचे दिए गए उपायों के जरिये गर्भावधि मधुमेह होने के खतरे को कम कर पाएं:- स्वस्थ आहार खाना। ऐसे कार्बोहाइड्रेट चुनें, जो धीरे-धीरे शुगर जारी करते हैं। जो कार्बोहाइड्रेट जल्दी हजम हो जाते हैं और रक्त शर्करा के स्तर को तेजी से बढ़ा सकते हैं, उनसे बचना चाहिए। धीरे-धीरे शुगर जारी करने वाले कार्बोहाइड्रेट्स में शामिल हैं साबुत अनाज और अपरिष्कृत अनाज जैसे भूरे चावल, चोकर, जई या रागी। इसलिए, आप चपातियां साबुत आनाज के आटे से बनाइए या फिर नाश्ते में जई का दलिया लीजिए। साथ ही, वसा युक्त मांस के बदले कम वसा वाले प्रोटीन जैसे कि चिकन, मछली और दलहन जैसे राजमा आदि लीजिए। मांस को भूनने के लिए माइक्रोवेव उपयोग में लें, ताकि तेल का कम इस्तेमाल हो।
- व्यायाम करना। अच्छा आहार खाने के साथ-साथ स्वस्थ और सक्रिय रहना भी महत्वपूर्ण है। यह आपके ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित रखने में मदद करता है। गर्भावस्था के दौरान कई तरह के व्यायाम जैसे योग, पिलाटिज़, टहलना, तैराकी आदि सुरक्षित हैं।
- गर्भावस्था में अपने वजन बढ़ने पर नियंत्रण रखें। अगर, आप गर्भावस्था से पहले आपका वजन सही था, तो गर्भावस्था के नौ महीनों में शायद आपका 10.5 किलो से 11 किलो तक वजन बढ़ सकता है।
कैसे पता चलेगा कि मुझे गर्भावधि मुधुमेह है?
गर्भावधि मधुमेह के लक्षण आसानी से पहचान पाना मुश्किल होता है, इसलिए इसका पता लगाने का सर्वश्रेष्ठ तरीका शुगर स्तर की जांच कराना है।यदि, आपकी डॉक्टर को लगता है कि आपको गर्भावधि मधुमेह होने का हल्का खतरा है, तो वह आपको फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोस टेस्ट कराने के लिए कह सकती हैं। इस जांच के लिए सवेरे सबसे पहले एक बार खाली पेट आपके रक्त का नमूना लिया जाएगा।
अगर, आपके पेशाब की जांच में शुगर का स्तर बढ़ा हुआ पाया जाता है, तो डॉक्टर आपको ग्लूकोस टोलरेंस टेस्ट (जीटीटी) करावाने के लिए कहेंगी। यह सामान्यत: गर्भावस्था के 24 और 28 सप्ताह के बीच कराया जाता है।
आपको यह जांच सवेरे खाली पेट करानी होगी। आपके खून का नमूना लिया जाएगा, ताकि आधारभूत रक्त शर्करा माप का पता लगाया जा सके। इसके बाद आपको ग्लूकोस दिया जाएगा और दो घंटे बाद फिर से आपके रक्त का नमूना लिया जाएगा। यह दूसरा नमूना दर्शाएगा कि शर्करा के सेवन पर आपके शरीर की क्या प्रतिक्रिया रही है।
अगर, आप डॉक्टर से नियमित मुलाकात कर रही हैं और उनके द्वारा बताई गई सभी जांचें करा रही हैं, तो इस बात की पूरी संभावना है कि आप गर्भावधि मधुमेह का पता समय रहते लगा लेंगी।
मधुमेह होने से मेरे अजन्मे शिशु पर क्या प्रभाव पड़ता है?
गर्भावधि मधुमेह वाली अधिकांश महिलाएं स्वस्थ शिशु को जन्म देती हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि यह स्थिति आसानी से पकड़ में आ जाती है और इसका इलाज किया जा सकता है।अगर, आपकी मधुमेह नियंत्रित नहीं है और आपके रक्त में अत्याधिक शुगर है, तो यह अपरा (प्लेसेंटा) से होते हुए आपके शिशु तक पहुंच जाएगी। यह आपके शिशु का वजन बढ़ा सकती है। अधिक वजन वाले शिशु प्रसव और जन्म के समय मुश्किल पैदा कर सकते हैं। इससे प्रसव होने में जटिलता का खतरा बढ़ जाता है। यहां तक कि कई बार यह मृत शिशु के जन्म का कारण भी बन सकता है, हालांकि यह काफी दुर्लभ है। इन्हीं सब कारणों को देखते हुए डॉक्टर आपकी रक्त शर्करा को एक सही स्तर पर रखने के लिए आपके साथ मिलकर काम करती है।
गर्भावधि मधुमेह का उपचार किस तरह होता है?
डॉक्टर आपको सलाह देंगी कि आप किस तरह सही खानपान और व्यायाम के जरिये रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित कर सकती हैं।अगर, आपका वजन गर्भवती होने से पहले अधिक था, तो डॉक्टर आपको कैलोरी का सेवन घटाने और रोजाना करीब 30 मिनट व्यायाम करने की सलाह देंगी।
आपको शायद कुछ अतिरिक्त अल्ट्रासाउंड स्कैन भी कराने पड़ेंगे। इनके जरिये यह देखा जाएगा कि आपका शिशु किस तरह बढ़ रहा है और गर्भ में कितना एमनियोटिक द्रव्य है। गर्भावस्था के 28 सप्ताह से 36 सप्ताह तक आपको हर चार हफ्ते में एक स्कैन कराना पड़ सकता है। डॉक्टर आपको गर्भ में होने वाली शिशु की हलचल पर भी विशेष ध्यान रखने के लिए कहेंगी। अगर, आपको शिशु की गतिविधियों में थोड़ा भी बदलाव महसूस हो, तो यह अपनी डॉक्टर को अवश्य बताएं।
यदि, रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित रखने के लिए आपका आहार और व्यायाम पर्याप्त नहीं है, तो इसके लिए आपको दवाई या फिर इंसुलिन के इंजेक्शन लेने की जरुरत पड़ सकती है।
अगर, जरुरत हुई तो डॉक्टर आपको स्वयं ही इंजेक्शन लगाना सिखा देंगी। आपको यह सब थोड़ा डरा सकता है, मगर अपने रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित रख कर आप अपने और शिशु के हित के लिए सर्वोचित काम कर रही हैं।
मधुमेह मेरे शिशु के जन्म को किस तरह प्रभावित करेगी?
मधुमेह होने से जन्म के समय जटिलताएं होने की संभावना बढ़ जाती है। इसकी वजह से समय से पहले प्रसव का खतरा भी बढ़ सकता है। सुनिश्चित करें कि आपने अपने घर के पास ही एक अच्छे अस्पताल का चयन कर लिया है और अस्पताल में आपकी स्थिति से निपटने के लिए विशेषज्ञता और उपकरण दोनों ही हैं।जब आपका प्रसव शुरु होता है, तो नर्स आपकी रक्त शर्करा के स्तर को जांचेगी और इसे नियंत्रित करेगी। रक्त शर्करा के स्तर को स्थिर रखने से जन्म के बाद शिशु में समस्या विकसित होने से बचने में मदद मिलती है। आपके शिशु पर भी लगातार निगारानी रखी जाएगी, ताकि संकट के लक्षणों का पता लगाया जा सके।
आपकी गर्भावस्था कैसी चल रही है और आपका शिशु का वजन कितना हो गया है, इन दोनों बातों पर गौर करते हुए डॉक्टर आपके प्रसव को प्रेरित करने का निर्णय ले सकती हैं। या फिर वह 38 सप्ताह और 40 सप्ताह के बीच आपको सीजेरियन ऑपरेशन कराने के लिए भी कह सकती हैं।
यदि, आपकी डॉक्टर को लगता है कि आप और आपका शिशु एकदम ठीक-ठाक है, तो वह अपने आप प्रसव शुरु होने के इंतजार में आपको 38 सप्ताह के बाद से नियमित स्कैन कराने के लिए कह सकती हैं। ये स्कैन पड़ताल करेंगे कि आपका शिशु कैसा है और अपरा के जरिये सही रक्त आपूर्ति हो रही है या नहीं।
जब आपका प्रसव शुरू होता है, तो आपकी और शिशु की लगातार निगारानी की जरुरत होती है। अगर, आपकी डॉक्टर को आशंका होती है कि शिशु के बाहर आने में दिक्कत हो सकती है या फिर आपका शिशु किसी संकट में लगता है, तो वह आपको सीजेरियन ऑपरेशन कराने की सलाह दे सकती है।
गर्भावधि मधुमेह जन्म के बाद शिशु को किस तरह प्रभावित करेगी?
एक बार शिशु के जन्म के बाद, जब तक शिशु का शरीर सही मात्रा में इंसुलिन के उत्पादन के साथ समायोजन नहीं बिठा लेता, तब तक शुरुआत में उसके शर्करा के स्तर में कमी आ सकती है। इसे हाइपोग्लाइसीमिया कहा जाता है। आपके शिशु को पीलिया भी हो सकता है, जो कि नवजात शिशुओं में काफी आम है।नवजात कक्ष में कुछ समय के लिए आपके शिशु के रक्त शर्करा के स्तर पर निगरानी रखने की भी जरुरत पड़ सकती है। 37 सप्ताह की गर्भावस्था से पहले जन्मे शिशुओं को कुछ दिनों के लिए नवजात गहन देखभाल इकाई (एनआईसीयू) में भी रहने की आवश्यकता हो सकती है।
जिन गर्भवती महिलाओं को गर्भावधि मधुमेह है, उनके शिशुओं में आगे चलकर मोटापा और टाईप 2 मधुमेह होने की संभावना रहती है। स्तनपान और स्वस्थ आहार व नियमित व्यायाम जैसी सेहतमंद आदतें शिशु को बड़े होने पर इन समस्याओं से बचने में मदद कर सकती हैं।
क्या शिशु के जन्म के बाद भी मुझे मधुमेह रहेगी?
शिशु के जन्म के बाद अस्पताल छोड़ने से पहले आपकी डॉक्टर आपके मधुमेह की जांच कर सकती हैं। आपको प्रसव के बाद छह हफ्तों पर होने वाली जांच में भी मधुमेह जांच कराने के लिए कहा जाएगा। सामान्यत: गर्भावधि मधुमेह शिशु के जन्म के बाद स्वत: चली जाती है।यह माना जाता है कि गर्भावधि मधुमेह वाली पांच में से एक महिला को वास्वत में गर्भधारण करने से पहले ही टाईप 2 मधुमेह थी, जिसके बारे में उन्हें पता नहीं था। अगर, आपके मामले में भी ऐसा ही है, तो आपकी मधुमेह शिशु के जन्म के बाद भी नहीं जाएगी। मगर, गर्भावस्था के दौरान आपके द्वारा अपनाई गई कई स्वस्थ आदतें, शिशु के जन्म के बाद आपकी मधुमेह को नियंत्रित रखने में मदद करेंगी।
अब जब आपको अपनी स्थिति के बारे में पहले से ही पता होगा, तो आप अपनी अगली गर्भावस्था की योजना सही तरह से बना पाएंगी।
अगर मुझे पहले गर्भावधि मधुमेह हो चुकी है, तो क्या यह दोबारा हो सकती है?
यह संभव है, मगर हमेशा ही ऐसा हो यह जरुरी नहीं। अगर, आपको पहले गर्भावधि मुधमेह हुई है, तो हो सकता है आपको रक्त शर्करा पर स्वयं निगरानी रखने के लिए कहा जाए। आपको गर्भावस्था के 16 और 18 सप्ताह के बीच ग्लूकोस टोलरेंस टेस्ट भी कराना पड़ सकता है। अगर, इस जांच का परिणाम सामान्य रहता है, तो भी एहतियातन आपको 28 सप्ताह की गर्भावस्था पर इसे दोबारा कराना पड़ सकता है।अगर, पिछली बार गर्भावधि मधुमेह के दौरान आपको इंसुलिन के जरिये इलाज करना पड़ा था, तो आपको इसके दोबारा होने की संभावना ज्यादा रहती है। जिन मांओं को पहले इंसुलिन से उपचार की जरुरत पड़ी थी, उनमें से केवल एक चौथाई ही अगली गर्भावस्था में गर्भावधि मधुमेह से बच पाती हैं।
यदि, आपको गर्भावधि मधुमेह हो चुकी है, तो आपको आगे जिंदगी में टाईप 2 मधुमेह विकसित होने की संभावना रहती है। इस संभावना को कम करने के लिए डॉक्टर आपको स्वस्थ आहार, वजन नियंत्रण और व्यायाम करने की सलाह देंगी।
No comments:
Post a Comment