मिशन एवं उद्देश्य |
किसी भी दीर्धकालिक व्याधि के साथ सफलतापूर्वक स्वस्थ जीवन जीने के लिये उचित चिकित्सा के साथ उस व्याधि के बारे में सम्पूर्ण जानकारी परम् आवश्यक है। प्रिय मधुमेही बन्धुओं मधुमेह विषय पर इन्टरनेट पर विभिन्न वेब-साइट उपलब्ध है परन्तु हिन्दी में यह पहला वेब-साइट आपकी सुविधा एवं ज्ञान - वर्धन के लिये लाँच किया गया है। डा0 आलोक कुमार गुप्ता, चिकित्सक डायबिटीज एजुकेशन एवं रिसर्च सेंन्टर एवं चिकित्सीय सलाहकार ‘डायबिटीज सेल्फकेयर क्लब’ के द्वारा आप सभी का अभिवादन एवं इस वेबसाइट पर स्वागत है।
बन्धुओं 1983 में बी0आर0डी0 मेडिकल कालेज गोरखपुर, उत्तर - प्रदेश, भारत से मेडिसिन में स्नातकोत्तर (एम0डी0) की डिग्री लेने के पश्चात मैंने निजी चिकित्सक के तौर पर कार्य करना शुरू किया। समय के साथ मैने महसूस किया मधुमेह रोगियों की संख्या में निरन्तर वृद्धि हो रही है। आप सभी जानते एवं महसूस करते होंगे कि दवाओं के अतिरिक्त भोजन, व्यायाम, कौन से जाँच कब और क्यों करायें, कितने अन्तराल पर करायें आदि तमाम ऐसी बाते होती हैं जिनकी व्यापक जानकारी हर मधुमेही को होनी चाहिए। मैने पाया कि वर्षों से मधुमेही रोगी लोगों को इस बीमारी की मूलभूत जानकारी भी नहीं होती, यहाँ तक कि सामान्यतः उनका रक्त शर्करा कितना होना चाहिए इस की भी जानकारी नहीं होती। एक या दो रक्त शर्करा रिपोर्ट सामान्य आते ही अधिकांश लोग दवायें बन्द कर देते हैं और फिर वर्षों जाँच नही कराते।
पश्चिमी देशों में चिकित्सक का कार्य एक सुपरवाइजर की तरह होता है। वह चिकित्सीय प्लान बनाता है, दवाओं की मात्रा निर्धारित करता है और समय - समय पर उसकी समीक्षा कर उसमें आवश्यक परिवर्तन करता है। बाकी कार्यो तथा भोजन, व्यायाम, इंसुलिन कैसे ले एवं दिन - प्रतिदिन आने वाली समस्या के लिये ‘‘डायाबिटीज एजूकेटर’’ होते है। उनके साथ रोगी बैठ कर विस्तृत चर्चा करते हैं और आवश्यकता पड़ने पर चिकित्सक से सम्पर्क करते है। भारतवर्ष में यह सभी कार्य चिकित्सक को ही करने पड़ते हैं। यदि एक रोगी से विस्तारपूर्वक यह सभी बाते बताई जाये तो एक घंटे का समय लगता है, और व्यहवारिक तौर पर यह संभव नहीं हो पाता, न रोगी न ही चिकित्सक इतना समय देने की स्थित में होते हैं।
इस समस्या के समाधान हेतु मैने अपने क्लीनिक पर माह में एक दिन ‘मधुमेह क्लीनिक’ करना शुरू किया। उस दिन तीन घंटे के ‘शिक्षा सत्र’ में सभी नये पंजीकृत रोगियों को मधुमेह की मूलभूत जानकारी दी जाती है। इसके काफी सकारात्मक परिणाम सामने आये। धीरे - धीरे मैने महसूस किया कि इस शिक्षा - अभियान का क्षेत्र और विस्तृत किया जाये। सन 2003 में कुछ उत्साही मधुमेह बन्धुओं के सहयोग से यह सपना भी साकार हुआ। दवा व्यवसायी श्री नीरज तिवारी, शामियाना व्यवसायी श्री कमल चैरसिया एवं श्री विनय श्रीवास्तव, वेदानन्द दूबे, धनश्याम प्रसाद श्रीवास्तव, डा0 विद्यावती के सक्रिय सहयोग से सन् 2003 में ‘डायाबिटीज सेल्फ केयर क्लब’ गोरखपुर की स्थापना हुई। अपनी स्थापना से निरन्तर यह क्लब हर माह के प्रथम रविवार को सतत् मधुमेह जनचेतना कार्यक्रम के अन्तर्गत व्याख्यान का आयोजन करता है, जिसमें विभिन्न विषयों यथा भोजन, व्यायाम, दवायें, नेत्र, गुर्दे, पैरो की देखभाल, कौन से जॉंच कब और क्यों करायें पर विशेषज्ञों का व्याख्यान कराया जाता है। 14 नवम्बर ‘विश्व मधुमेह दिवस’ पर विशेष व्याख्यान एवं ‘ग्लोबल डायबिटीज वाक’ का आयोजन किया जाता है। क्लब की गतिविधि को देखते हुए कालान्तर में फ्रीमेंसनरी संस्था लॉज वॉलैस - 99 एवं सहारा वेलफेयर फाउन्डेशन जैसी संस्था ने भी हाथ मिलाया हैं। मधुमेह के प्रति जागरूकता के लिये स्कूल, कालेज एवं विश्वविद्यालय में व्याख्यान एवं पोस्टर प्रतियोगिता का भी आयोजन पिछले वर्ष किया गया।
क्लब की गतिविधि की महत्ता एवं सफलता को देखते हुए ‘इंडिया टूडे’ जैसी प्रतिष्ठित पत्रिका ने अपने 21 सितम्बर 2005 के हिन्दी अंश में इस पर लेख प्रकाशित किया है। उत्तर - प्रदेश डायविटीज एसोसियेसन ने 2007 में मेरे इस सामाजिक अभियान को देखते हुए फैलोशिप एवार्ड प्रदान किया।
इस जन-जागरूकता को और व्यापक स्वरूप देने हेतु इस वर्ष (2009) 14 नवम्बर को इस हिन्दी वेबसाईट को लॉंच किया जा रहा है। इस साइट का मुख्य उद्देश्य मधुमेह से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर सरल एवं सुबोध तरीके से जानकारी देना है।
अभी इस वेबसाईट का शैशवकाल है। हमारा पूरा प्रयास होगा कि समय के साथ इसे और समृद्ध किया जाये। आप का सक्रिय सहयोग इस दिशा में उत्प्रेरक भी तरह कार्य करेगा। आशा है कि आप अपना अमूल्य सुझाव हमें निरन्तर भेजते रहेगें।
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Wednesday, August 17, 2016
किसी भी दीर्धकालिक व्याधि के साथ सफलतापूर्वक स्वस्थ जीवन जीने के लिये उचित चिकित्सा
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