Thursday, July 23, 2009

मधुमेह के उपचार के लिए नयी इंसुलिन

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मधुमेह के उपचार के लिए नयी इंसुलिन

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मधुमेह से पीड़ित रोगियों के लिए भारतीय बाजार में एक देशी दवा कंपनी ने ऐसी प्रभावी इंसुलिन ईजाद की है जिसका इस्तेमाल रोगी भोजन से पहले या भोजन के बाद कभी भी कर सकता है।
मधुमेह रोग के विशेषज्ञ डा. कर्नल सुरेंद्र कुमार के अनुसार देश में पहली बार इस तरह की इंसुलिन देशी कंपनी द्वारा तैयार की गयी है जिससे रोगी को बहुत लाभ मिल सकता है और इसका असर 24 घंटे तक रहता है। उन्होंने कहा कि बायोकान फार्मेसी ने इस वर्ष मई में इस इंसुलिन को भारतीय बाजार में उतारा है।
डा. कुमार के अनुसार देश में यह इंसुलिन आयात की जाने वाली इंसुलिन की तुलना में कहीं सस्ती और आसानी से उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि अमेरिका की एक बहुराष्ट्रीय कंपनी इस दवा का उत्पादन करती थी लेकिन अब भारतीय कंपनी ने देश में ही इसका उत्पादन शुरू कर दिया है।
देश में मधुमेह कमजोर वर्ग को तेजी से अपनी चपेट में ले रहा है। एक अनुमान के अनुसार देश में इस समय 10 से 11 प्रतिशत उच्च जीवनशैली के लोग इस बीमारी की चपेट में हैं जबकि निचले स्तर के 33 प्रतिशत लोगों में यह रोग फैल चुका है। एक सर्वेक्षण के अनुसार वर्ष 1995 में इस रोग से करीब 1.9 करोड़ लोग पीड़ित थे और वर्ष 2025 तक इसकी चपेट में करीब छह करोड़ लोग आ सकते हैं।
मधुमेह एक खतरनाक रोग है। रोगी जो भोजन खाता है उसके शरीर को उससे पोषण नहीं मिलता है, रोगी जब भोजन करता है तो उसके शरीर की शर्करा (शुगर) बढ़ जाती है लेकिन इंसुलिन इसे संतुलित रखती हैं। जिन लोगों को यह रोग नहीं होता है उनकी इंसुलिन स्वतः बनती रहती है लेकिन इंसुलिन नहीं होने पर शुगर बढ़ जाता है जो व्यक्ति के रक्त संचार, धमनियां, किडनी, जननांग, हृदय तथा आंखों को प्रभावित करता है। मधुमेह के रोगी को जबरदस्त प्यास लगती है और बार-बार पेशाब आता है। रोगी की भूख बढ़ जाती है और अनेक मामलों में उसे धुंधला दिखने लगता है। उसका वजन घटता है अथवा बढ़ता है उसे अक्सर थकान महसूस होती है और नींद आती है। इसके अतिरिक्त रोगी के हाथ या पांव सुन्न हो जाते हैं और महिलाओं के गुप्तांग में खुजली तथा इन्फेक्शन की शिकायत रहती है। इसके अलावा घाव देर से भरता है तथा पसीना ज्यादा आता है।
चिकित्सकों का मानना है कि यह रोग वैसे तो सारी दुनिया के लिये चिंता का कारण बना हुआ है पर भारतीय जीवनशैली में आ रहे बदलाव की वजह से यह रोग भारत में तेजी से फैल रहा है, इसलिए इस रोग से बचाव के तरीकों पर जनजागरण सम्मेलन चलाये जाने चाहिए।