Wednesday, July 01, 2009

युवाओं में बढ़ रहा है मधुमेह

मधुमेह की बीमारी अब एशिया में भी अपनी जड़ें जमाने लगी हैं लेकिन पश्चिम के विपरीत इस क्षेत्र में मधुमेह से पीड़ित समुदाय में युवाओं की संख्या अधिक है। वे मोटापे का भी शिकार नहीं हैं। यदि यही स्थिति रही तो वर्ष 2025 तक अकेले भारत में मधुमेह पीड़ितों की संख्या वर्ष 2007 में चार करोड़ के मुकाबले बढ़कर सात करोड़ हो जाएगी। जर्नल आफ अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन में प्रकाशित शोध रिपोर्ट में बताया गया है कि मधुमेह की बीमारी ने वैश्विक समस्या का रूप ले लिया है तथा वर्ष 2025 में इस बीमारी से पीड़ित मरीजों की संख्या वर्ष 2007 के 24 करोड़ के मुकाबले 38 करोड़ तक पहुंच जाने की आशंका है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन मरीजों में से 60 फीसद से अधिक एशिया में होंगे जो दुनिया का तेजी से विकसित होता क्षेत्र है। कम और मध्यम आय वाले देश इससे बुरी तरह प्रभावित होंगे। भारत में मधुमेह पीड़ित मरीजों की संख्या चार करोड़ से सात करोड़ चीन में तीन करोड़ 90 लाख से बढ़कर पांच करोड़ 90 लाख और बांग्लादेश में तीन करोड़ 80 लाख से बढ़कर सात करोड़ 40 लाख तक हो जाएगी। लेखक ने अंतरराष्ट्रीय मधुमेह संघ के आंकड़ों का उल्लेख करते हुए यह बात कही है। एशियाई क्षेत्र में इंडोनेशिया, फिलीपिंस, मलेशिया, वियतनाम तथा अन्य पड़ोसी देशों में मधुमेह के रोगियों की संख्या में भारी इजाफा होगा।हार्वर्ड स्कूल आफ पब्लिक हेल्थ में प्रोफेसर फैंक हू ने कहा है कि मधुमेह की बीमारी का संबंध दिल की बीमारी ह्म्द्याघात और गुर्दा फेल होने जैसी गंभीर समस्याओं से है। इन बीमारियों का इलाज भी काफी महंगा साबित होता है।जेएएमए शोध से यह भी पता चलता है कि एशियाई क्षेत्र में मधुमेह बीमारी के जोर पकड़ने के पीछे आनुवांशिक कारक धूम्रपान एवं बढ़ता शहरीकरण जिम्मेदार है। लेकिन शोध की सबसे अधिक चौंकाने वाली बात यह है कि यह बाडी मास और उम्र के अनुसार अलग अलग देशों में अलग अलग तरह से लोगों को प्रभावित करता है।

No comments: