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भारतीयों को डायबटीज से अंधेपन का खतरा
बैंकॉक: भारत के लोगों पर मधुमेह यानी डायबिटीज से पैदा होने वाली अंधता का खतरा मंडरा रहा है। इसके प्रति जागरूकता की कमी के चलते यह खतरा और
बढ़ गया है। यहां लायंस क्लब इंटरनैशनल फाउंडेशन (एलसीआईएफ) के 3 दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में यह बात कही गई।
एलसीआईएफ दक्षिण एशिया में एक बड़ा अभियान चला रहा है। इसके एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि भारत डायबिटीज की वैश्विक राजधानी है। इस रोग से पीड़ित व्यक्ति यदि समय पर इलाज ना कराए, तो वह अपनी आंखों की रोशनी खो सकता है। चिकित्सा की भाषा में इसे डायबिटिक रेटिनोपैथी कहा जाता है।
मुंबई के एक पूर्व न्यायाधीश और एलसीआईएफ के पूर्व प्रेजिडेंट डॉ. अशोक मेहता ने कहा कि मधुमेह के रोगियों में तंत्रिका तंत्र के भी क्षतिग्रस्त होने की संभावना होती है। इससे भी रोगी अंधा हो सकता है। उन्होंने कहा कि अगले 25 सालों में भारत में डायबिटिक रेटिनोपैथी के शिकार लोगों की संख्या दुनिया में सबसे ज्यादा हो सकती है।
सम्मेलन में एक अनौपचारिक वार्ता के दौरान उन्होंने कहा कि एक बड़ी समस्या यह भी है कि डायबिटीज रोगी का बच्चा भी इस भयानक रोग की चपेट में आ सकता है। भारत में एक नियो-नेटल यूनिट की स्थापना करने की एलसीआईएफ की योजना के बारे में बताते हुए मेहता ने कहा कि रोगी के नवजात बच्चों को बचाना एलसीआईएफ की प्राथमिक चिंता है।
डायबिटीज के खतरे का सामना करने के लिए एलसीआईएफ ने दक्षिण भारत के 2 अस्पतालों शंकर नेत्रालय, चेन्नै और एल.वी. प्रसाद आई हॉस्पिटल, हैदराबाद के साथ हाथ मिलाया है। यहां रोगी की पूरी जांच कर यह सुनिश्चित करने की कोशिश की जाती है कि डायबिटिक रेटीनोपैथी के कारण रोगी की आंख न खराब हो।
एलसीआईएफ के कार्यकर्ता स्थानीय स्वास्थ्य केंद्रों पर नियमित रूप से काम करते हैं। वे 'मधुमेह जागरूकता अभियान' भी चलाते हैं जिसमें रोगियों को खान-पान से जुड़ी सलाह दी जाती है। संगठन केरल के 2 शहरों कोचीन और तिरुअनंतपुरम में बच्चों को अंधता से बचाने के लिए 'साइट फॉर किड्स' नाम की एक महत्त्वाकांक्षी परियोजना सफलतापूर्वक चला रहा है। मेहता ने बताया कि इसमें नेत्र चिकित्सक और संगठन के कार्यकर्ता सरकारी और स्थानीय नागरिक संस्थाओं के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की नियमित जांच करते हैं। पायलट परियोजना के रूप में इस कार्यक्रम को देश के विभिन्न स्थानों जैसे हैदराबाद, दिल्ली, अहमदाबाद, बड़ोदरा, जयपुर और उदयपुर में शुरू किया गया है।
मेहता ने कहा कि एलसीआईएफ महाराष्ट्र के सरकारी अस्पतालों को गोद लेना चाहता है, पर राज्य सरकार ने अभी तक इस प्रस्ताव का जवाब नहीं दिया है। काफी पहले 1993 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शरद पवार ने सरकारी अस्पतालों को इस संगठन को गोद देने के विचार को खारिज कर दिया था। उन्होंने बताया कि आधुनिक उपकरण लगाकर और व्यवस्था में सुधार कर सरकारी अस्पतालों की क्षमता भी बढ़ाई जा सकती है।
28 Jun 2008, 0021 hrs IST, इकनॉमिक टाइम्स
अब बच्चों को होने लगी है बड़ों की बीमारी
14 Nov 2008, 0502 hrs IST,नवभारत टाइम्स
नीतू सिंह
नई दिल्ली : पहले बड़ों की बीमारी मानी जाने वाली टाइप- 2 डायबीटीज अब बच्चों को भी होने लगी है। आमतौर पर टाइप- 2 डायबीटीज का खतरा 40 की उम्र के बाद माना जाता है, लेकिन अब 13 साल की उम्र से ही इसके लक्षण दिखने लगे हैं। 15 - 16 की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते तो समस्या बड़ी बीमारी का रूप ले लेती है। चिंताजनक बात यह है कि इससे सिर्फ हेल्थ ही नहीं बल्कि लुक भी प्रभावित हो रहा है।
हार्ट केयर फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. के. के. अग्रवाल का कहना है कि फिलहाल बच्चों में डायबीटीज की समस्या कितनी बड़ी है? यह पता करने के लिए बड़े लेवल पर स्टडी नहीं हो पाई है, मगर वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन जैसी एजंसियों के अनुमान के मुताबिक फिलहाल शहरी क्षेत्रों में रहने वाले 33 से 37 फीसदी स्कूली बच्चे मोटापे के शिकार हैं। इनमें से 10 फीसदी से ज्यादा डायबीटीज की चपेट में आ चुके हैं और लगभग इतने ही प्री-डायबिटिक स्टेज में हैं। डॉ. अग्रवाल के मुताबिक गलत जीवनशैली या पारिवारिक इतिहास के चलते होने वाला टाइप-2 डायबीटीज का असर लड़कों की तुलना में लड़कियों में डेढ़ फीसदी ज्यादा हो रहा है। इसके कारण लड़कियों के पीरियड्स में अनियमितता या मूछें उगने जैसी दिक्कतें हो रही हैं। इससे कई तरह की फिजिकल और साइकलॉजिकल समस्याएं भी पैदा हो रही हैं।
दिल्ली डायबिटिक रिसर्च सेंटर के अध्यक्ष डॉ. ए. के. झिंगन के मुताबिक, कम उम्र में टाइप-2 डायबीटीज होने के कारण मोटापा और इंसुलिन से संबंधित समस्याएं आम हैं। इसके कारण कम उम्र में ही हार्ट, किडनी और लीवर की बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। इंडियन हार्ट फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. आर. एन. कालरा का कहना है कि इस तरह की दिक्कतों से बचाव के लिए बच्चों में शुरू से ही चीनी, चावल, मैदा जैसी चीजों से परहेज रखने और देर रात तक न जागने की आदत डालें। साथ ही उन्हें फिजिकल एक्सरसाइज के लिए भी भेजें।
डायबीटीज ने बढ़ाया आंखों के लिए भी खतरा
डायबीटीज आंखों की रोशनी के लिए भी सबसे बड़ा खतरा बन गया है। इसके कारण डाबिटिक रेटिनोपैथी नाम की बीमारी हो जाती है। ऐसा कहना है सेंटर फॉर साइट के डायरेक्टर डॉ. महिपाल सचदेव का। उन्होंने बताया कि डायबिटिक रेटिनोपैथी में रेटिना की ब्लड वेसेल्स कमजोर हो जाती हैं और इनसे खून निकलने लगता है। इससे नसें सूज सकती हैं।
इस तरह के बदलावों से रेटिना के अंदर ब्लड का संचार सामान्य नहीं रहता और आंखों को ऑक्सिजन और अन्य न्यूट्रिएंट नहीं मिल पाते। श्रेया आई सेंटर के अध्यक्ष डॉ. राकेश गुप्ता कहते हैं कि जैसे-जैसे यह बीमारी बढ़ती है वैसे-वैसे आंखों की रोशनी कम होती जाती है। ऐसे में शुरू से बचाव और समय पर आंखों की जांच बहुत जरूरी है।
By 14 Nov 2008, 0502 hrs IST,नवभारत टाइम्स
नीतू सिंह
Defcon: Excuse me while I turn off your pacemaker
August 8, 2008 Dean Takahashi
The Defcon conference is the wild and woolly version of Black Hat for the unwashed masses of hackers. It always has its share of unusual hacks. The oddest so far is a collaborative academic effort where medical device security researchers have figured out how to turn off someone's pacemaker via remote control. They previously disclosed the paper at a conference in May. But the larger point of the vulnerability of all wirelessly-controlled medical devices remains a hot topic here at the show in Las Vegas.
Let's not have a collective heart attack, at least not yet. The people on the right side of the security fence are the ones who have figured this out so far. But this has very serious implications for the 2.6 million people who had pacemakers installed from 1990 to 2002 (the stats available from the researchers). It also presents product liability problems for the five companies that make pace makers.
Kevin Fu, an associate professor at the University of Massachusetts at Amherst and director of the Medical Device Security Center, said that his team and researchers at the University of Washington spent two years working on the challenge. Fu presented at Black Hat while Daniel Halperin, a graduate student at the University of Washington, presented today at Defcon.
Getting access to a pacemaker wasn't easy. Fu's team had to analyze and understand pacemakers for which there was no available documentation. Fu asked the medical device makers, explaining his cause fully, but didn't get any help.
William H. Maisel, a doctor at Beth Israel Deaconess Hospital and Harvard Medical School, granted Fu access for the project. Fu received an old pacemaker as the doctor installed a new one in a patient. The team had to use complicated procedures to take apart the pacemaker and reverse engineer its processes. Halperin said that the devices have a built-in test mechanism which turns out to be a bug that can be exploited by hackers. There is no cryptographic key used to secure the wireless communication between the control device and the pacemaker.
A computer acts as a control mechanism for programming the pacemaker so that it can be set to deal with a patient's particular defribrillation needs. Pacemakers administer small shocks to the heart to restore a regular heartbeat. The devices have the ability to induce a fatal shock to a heart.
Fu and Halperin said they used a cheap $1,000 system to mimic the control mechanism. It included a software radio, GNU radio software, and other electronics. They could use that to eavesdrop on private data such as the identity of the patient, the doctor, the diagnosis, and the pacemaker instructions. They figured out how to control the pacemaker with their device.
"You can induce the test mode, drain the device battery, and turn off therapies," Halperin said.
Translation: you can kill the patient. Fu said that he didn't try the attack on other brands of pacemakers because he just needed to prove the academic point. Halperin said, "This is something that academics can do now. We have to do something before the ability to mount attacks becomes easier."
The disclosure at Defcon wasn't particularly detailed, though the paper has all of the information on the hack. The crowd here is mostly male, young, with plenty of shaved heads, tattoos and long hair. The conference is a cash-only event where no pictures are allowed without consent. It draws thousands more people from a much wider net of security researchers and hackers than the more exclusive Black Hat.
Similar wireless control mechanisms are used for administering drugs to a patient or other medical devices. Clearly, the medical device companies have to start working on more secure devices. Other hackers have figured out how to induce epileptic seizures in people sensitive to light conditions. The longer I stay at the security conferences here in Las Vegas, the scarier it gets.
Philips iPill -- Like a Regular Pill, But With a Microprocessor
by
Engadget Staff (RSS feed) — Nov 12th 2008 at 8:10AM
It's been just about a year since we saw the patent for Philips' remote control "pill," and it looks like the thing is finally a reality. For those of you straining to remember that far back, the iPill (as it is now sadly known) is a miniature capsule that among its many charms contains a microprocessor, power supply, medicine reservoir and pump, and a radio so that it can remain in contact with external medical equipment. The pill's ability to accurately determine its position in the digestive tract enables it to deliver drugs precisely where they're needed, reducing dosage strength and side effects. According to Philips, the current design is a prototype, but it's suitable for serial manufacturing. Of course, this is not the first robot
pill we've seen -- and it certainly won't be the last. Just the same, we think we'll refrain from swallowing any nanotech for the time being.
Crawling robot pill
by Katie Fehrenbacher posted Oct 7th 2004 at 2:51AM
While the initial response to the idea of a leggy robot crawling around your guts is naturally one of shock and awe, but if you really think about the other surgical and endoscopic options, they're all a little offputting as well: tubes, little cameras on wires, so why the hell not a tiny-legged robot pill? The 25mm long and 10mm diameter crawling capsule was created by researchers in Italy and Korea and once the pill is swallowed the soft coating dissolves and the crazy-legged robot starts its course. The only issue might be one of control, since we're sure the patient won't be none too pleased when some rogue robot goes starts aimlessly inspecting his intestines.
[Via Near Future]
उच्च रक्तचाप ' मौन स्ट्रोक" पैदा कर सकता हैं
"मौन" स्ट्रोक
में मस्तिष्क क्षति का कोई भी लक्षण
नहीं
होता है. लेकिन दिमाग का नुकसान होता है
60 से अधिक उम्र के आम लोगों में और उच्च रक्तचाप के साथ लोगों को विशेष रूप से होते हैं.
स्वास्थ्य पर धीरे मोटापे का असर के अतिरिक्त निवारण के लिए किया जा सकता है: विशेषज्ञ
वजन शाकर्स स्लाइड शो स्टीवन रिन्बर्ग से <
मंगलवार, 28 जुलाई (HealthDay News) -- <BR> मंगलवार वॉशिंगटन डीसी में विशेषज्ञों का एक राष्ट्रीय सम्मेलन में रिपोर्ट. संयुक्त राज्य अमेरिका में अब मोटापा प्रत्यक्ष चिकित्सा की कीमत में प्रति वर्ष $ 147 अरब की भारी कीमत वहन < <BR> सभी चिकित्सा व्यय की बस पर 9%, <BR> <BR> <BR><BR>"परिप्रेक्ष्य में, यह राशि डाल करने के लिए <BR> अमेरिकन कैंसर सोसायटी <BR> अनुमान है कि <BR>सभी कैंसर <BR> संयुक्त लागत <BR> हमारे स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली <BR>$ 93 बिलियन एक वर्ष. <BR>तो मोटापा समाप्त <BR> <BR> हमारे स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली <BR> 50% अधिक डॉलर <BR> कैंसर का इलाज, "से अधिक बच होगा
मधुमेह से पीड़ित रोगियों के लिए भारतीय बाजार में एक देशी दवा कंपनी ने ऐसी प्रभावी इंसुलिन ईजाद की है जिसका इस्तेमाल रोगी भोजन से पहले या भोजन के बाद कभी भी कर सकता है।
मधुमेह रोग के विशेषज्ञ डा. कर्नल सुरेंद्र कुमार के अनुसार देश में पहली बार इस तरह की इंसुलिन देशी कंपनी द्वारा तैयार की गयी है जिससे रोगी को बहुत लाभ मिल सकता है और इसका असर 24 घंटे तक रहता है। उन्होंने कहा कि बायोकान फार्मेसी ने इस वर्ष मई में इस इंसुलिन को भारतीय बाजार में उतारा है।
डा. कुमार के अनुसार देश में यह इंसुलिन आयात की जाने वाली इंसुलिन की तुलना में कहीं सस्ती और आसानी से उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि अमेरिका की एक बहुराष्ट्रीय कंपनी इस दवा का उत्पादन करती थी लेकिन अब भारतीय कंपनी ने देश में ही इसका उत्पादन शुरू कर दिया है।
देश में मधुमेह कमजोर वर्ग को तेजी से अपनी चपेट में ले रहा है। एक अनुमान के अनुसार देश में इस समय 10 से 11 प्रतिशत उच्च जीवनशैली के लोग इस बीमारी की चपेट में हैं जबकि निचले स्तर के 33 प्रतिशत लोगों में यह रोग फैल चुका है। एक सर्वेक्षण के अनुसार वर्ष 1995 में इस रोग से करीब 1.9 करोड़ लोग पीड़ित थे और वर्ष 2025 तक इसकी चपेट में करीब छह करोड़ लोग आ सकते हैं।
मधुमेह एक खतरनाक रोग है। रोगी जो भोजन खाता है उसके शरीर को उससे पोषण नहीं मिलता है, रोगी जब भोजन करता है तो उसके शरीर की शर्करा (शुगर) बढ़ जाती है लेकिन इंसुलिन इसे संतुलित रखती हैं। जिन लोगों को यह रोग नहीं होता है उनकी इंसुलिन स्वतः बनती रहती है लेकिन इंसुलिन नहीं होने पर शुगर बढ़ जाता है जो व्यक्ति के रक्त संचार, धमनियां, किडनी, जननांग, हृदय तथा आंखों को प्रभावित करता है। मधुमेह के रोगी को जबरदस्त प्यास लगती है और बार-बार पेशाब आता है। रोगी की भूख बढ़ जाती है और अनेक मामलों में उसे धुंधला दिखने लगता है। उसका वजन घटता है अथवा बढ़ता है उसे अक्सर थकान महसूस होती है और नींद आती है। इसके अतिरिक्त रोगी के हाथ या पांव सुन्न हो जाते हैं और महिलाओं के गुप्तांग में खुजली तथा इन्फेक्शन की शिकायत रहती है। इसके अलावा घाव देर से भरता है तथा पसीना ज्यादा आता है।
चिकित्सकों का मानना है कि यह रोग वैसे तो सारी दुनिया के लिये चिंता का कारण बना हुआ है पर भारतीय जीवनशैली में आ रहे बदलाव की वजह से यह रोग भारत में तेजी से फैल रहा है, इसलिए इस रोग से बचाव के तरीकों पर जनजागरण सम्मेलन चलाये जाने चाहिए।
1 | tablespoon oil |
1 1/4 | lb chicken ,boneless skinless breast halves ,(about 4 ) |
1 | can cream of chicken soup, condensed (10 3/4 oz) |
1 | soup can (1 1/3 cups) water or skim milk |
2 | cups rice, uncooked (Minute Original) |
2 | cups broccoli ,(fresh or frozen florets, thawed) |
Nutrition Facts | ||||||
Serving Size 431.9g | ||||||
Amount Per Serving | ||||||
Calories 665 Calories from Fat 116 | ||||||
% Daily Value* | ||||||
Total Fat 12.9g 20% | ||||||
Saturated Fat 3.1g 16% | ||||||
Cholesterol 115mg 38% | ||||||
Sodium 610mg 25% | ||||||
Total Carbohydrates 82.3g 27% | ||||||
Dietary Fiber 2.3g 9% | ||||||
Sugars 1.3g | ||||||
Protein 50.7g | ||||||
| ||||||
* Based on a 2000 calorie diet Nutritional details are an estimate and should only be used as a guide for approximation. |
Nutrition Grade 96% confidence | Good points sugar niacin selenium |
The National Diabetes Education Program has launched a national campaign reaching out to health care professionals and their patients to emphasize the importance of comprehensive control of diabetes and cardiovascular disease.
The “Control Your Diabetes. For Life.” program features free brochures and tip sheets including “Take Care of Your Heart. Manage Your Diabetes,” “Guiding Principles for Diabetes Care,” and “Diabetes Numbers at-a-Glance.” Several brochures are available in Spanish, and there are offerings translated into 15 other languages, including Chinese, Hindi, Hmong, Tagalog, Thai, and more.
For more information, call 888-693-6337 or visit www.YourDiabetesInfo.org.
NEW YORK — Negative results in a myocardial perfusion imaging study offer no assurance that a patient won't later develop coronary artery disease, especially if the patient has diabetes and more than 2 years have passed since the negative study,
“Physicians need to have a low threshold for doing repeat myocardial perfusion imaging [MPI] on a patient with diabetes,” he said. “They need to have a broad definition of the symptoms that should trigger a second MPI in these patients.”
Examples of atypical symptoms that should raise concern about coronary disease in patients with diabetes include dyspnea, sharp chest pain, and variable responses to exertionA midlife diagnosis of diabetes increases the risk of developing Alzheimer's disease and vascular dementia, based on results of a twin study including more than 13,000 individuals.
Previous studies have shown that people with diabetes are at increased risk for dementia, but little is known about the mechanism of action, wrote Dr. Weili Xu of the Karolinska Institutet, Stockholm, and the Stockholm Gerontology Research Center. Dr. Xu and colleagues conducted this twin study to examine the effect of diabetes on dementia and assess the possible role of genetics (Diabetes 2009;58:71–7).
A midlife diagnosis of diabetes increases the risk of developing Alzheimer's disease and vascular dementia, based on results of a twin study including more than 13,000 individuals.
Previous studies have shown that people with diabetes are at increased risk for dementia, but little is known about the mechanism of action, wrote Dr. Weili Xu of the Karolinska Institutet, Stockholm, and the Stockholm Gerontology Research Center. Dr. Xu and colleagues conducted this twin study to examine the effect of diabetes on dementia and assess the possible role of genetics (Diabetes 2009;58:71–7).
SALT LAKE CITY — Despite case reports of memory problems linked to the use of statins in older people, data from the large studies of statins to date find no apparent association.