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डायबिटीज की बीमारी में यदि
हम नियमित दवा एवं खान-पान का ध्यान रखें एवं चिकित्सक की समय-समय पर सलाह लेकर सावधानियां
रखें तो हम अपने आपको पूर्णतः स्वस्थ रख पाएंगे। अक्सर देखने में आता है कि लोग दवा
तो नियमित ले लेते हैं लेकिन अन्य बातों की सावधानी नहीं बरतते।
उदाहरण के तौर पर मनीष को
लगभग दस वर्ष पहले डायबिटीज हो गई थी। उन्हें नियमित दवा, व्यायाम, परहेज एवं सावधानियों
के बारे में समझा दिया गया था। यहां यह समझना जरूरी है कि लोगों को यह तो मालूम है
कि डायबिटीज से हार्ट एवं गुर्दों को खतरा होता है, लेकिन यह भी जानना जरूरी है कि इस बीमारी में पैरों की देखभाल
जरूरी है।
डायबिटीज वाले रोगी को हमेशा
अपने पैरों को चोट से बचाना चाहिए तथा नियमित तौर पर पैरों, तलुओं एवं पैर की अंगुलियों की जांच जरूरी है कि उनमें कोई जख्म
तो नहीं हो गया।
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मनीष शायद यह सावधानी भूल
गए तथा उनको जूतों की खराब फिटिंग के चलते पैर के अंगूठे में जख्म हो गया जो कि दर्द
न होने के कारण बढ़ता गया एवं अंततः उनका अंगूठा काटना पड़ गया। यह तो मात्र एक वार्निंग
थी उनके लिए, क्योंकि अब उन्होंने यदि ध्यान
नहीं रखा तो कहीं पैर काटने की नौबत न आ जाए। ज्ञात हो कि डायबिटीज के लगभग 50 प्रतिशत मरीजों को नसों की सुन्नता के कारण ऐसा
दर्द नहीं होता है।
डायबिटीज रोगी को ध्यान रखने
योग्य बातें :-
- डायबिटीज में हृदय
रोग, लकवा, गुर्दा रोग की संभावना अन्य लोगों की तुलना में
दो गुना तक बढ़ जाती है।
- इन मरीजों को अपनी
आंखों का ध्यान रखना जरूरी है तथा हर छह माह में आंख के पर्दे की जांच जरूरी है,
अन्यथा उन्हें अचानक रोशनी जाने की परेशानी का सामना
करना पड़ सकता है।
- यदि पैरों एवं अंगुलियों
का ध्यान नहीं रखा गया तो पैर की अंगुली अथवा पैर काटने की नौबत भी आ सकती है।
- यहां यह ध्यान दें
कि कोई भी डायबिटीज जो कि पांच-दस वर्ष पुरानी हो गई है, उसके कारण पैरों की रक्त नलिकाओं एवं नसों में खराबी आ जाती
है, जिसके कारण पैर के जख्मों
में दर्द नहीं होता या खून का दौरा बराबर नहीं होने के कारण जख्म देर से भरते हैं।
अतः समय रहते पैरों की देखभाल अत्यंत जरूरी है।
आज भारत में 4.5 करोड़ व्यक्ति डायबिटीज (मधुमेह) का शिकार हैं। इसका मुख्य कारण है असंयमित खानपान, मानसिक तनाव, मोटापा, व्यायाम की कमी। इसी कारण यह रोग हमारे देश में बड़ी तेजी से बढ़ रहा है। डायबिटीज चयापचय से संबंधित बीमारी है। इसमें कार्बोहाइड्रेट और ग्लूकोज का ऑक्सीकरण पूर्ण रूप से नहीं हो पाता है।
इसका मुख्य कारण है। 'इंसुलिन की कमी'। इंसुलिन नामक हार्मोन पेनक्रियाज की इन्स्लैट ऑफ लैगरहैस द्वारा निकलता है, जो ग्लूकोज का चयापचय करता है। रक्त में ग्लूकोज की मात्रा सामान्य से ज्यादा तथा सामान्य से कम होना दोनों ही स्थितियाँ घातक सिद्ध होती हैं। इस रोग को प्रारंभिक अवस्था में आहार व्यायाम तथा दवाइयों द्वारा काबू में किया जा सकता है।
डायबिटीज में आहार की भूमिका
ऐसे रोगियों के आहार की मात्रा कैलोरी पर निर्धारित रहती है, जो कि प्रत्येक रोगी की उम्र, वजन, लिंग, ऊँचाई, दिनचर्या व्यवसाय आदि पर निश्चित की जाती है। इसके आधार पर प्रत्येक व्यक्ति की अलग-अलग आहार तालिका बनती है। हम यहाँ पर एक सामान्य डायबिटीज के रोगी की आहार तालिका दे रहे हैं। इसमें भोजन में समय एवं मात्रा पर विशेष ध्यान रखना अतिआवश्यक है।
आहार तालिका
सुबह 6 बजे : आधा चम्मच मैथीदाना पावडर+पानी।
सुबह 7 बजे : 1 कप बिना शक्कर की चाय +1-2 मैरी बिस्किट।
सुबह 8.30 बजे : 1 प्लेट उपमा या दलिया+आधी कटोरी अंकुरित अनाज+100 एमएल मलाईरहित बिना शक्कर का दूध।
सुबह 10.30 बजे : 1 छोटा छिलके सहित फल केवल 50 ग्राम का या 1 कप पतली छाछ बिना शक्कर की या नींबू पानी।
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दोपहर का भोजन 12.30 बजे : 2 मिश्रित आटे की सादी रोटी, 1 कटोरी पसिया निकला चावल+1 कटोरी सादी दाल+1 कटोरी मलाईरहित दही+आधा कप सोयाबीन या पनीर की सब्जी +आधा कप हरी पत्तेदार भाजी+सलाद 1 प्लेट। अपराह्न 4 बजे : 1 कप बिना शक्कर की चाय+1-2 मैरी बिस्किट या 1-2 टोस्ट।
शाम 6 बजे : 1 कप सूप। रात का भोजन 8.30 बजे : दोपहर के समान।
रात को सोते समय 10.30 बजे : 1 कप बिना शक्कर का मलाई रहित दूध।
Maturity-Onset Diabetes of the Young (or MODY) is a term
used to encompass a group of monogenic forms of diabetes. It accounts for about
1% of people with diabetes. Often patients are misdiagnosed as Type 1 / Type 2
Diabetes or Pre diabetes. Distinguishing MODY from other forms of diabetes can
be difficult for patients and clinicians. The disguishing features are
highlighted in each of the clinical scenarios.
The main features of MODY include:
• Diabetes often develops before the age of 30 years
• Diabetes often runs in families from one generation to the
next
• Diabetes may be treated by diet or tablets and does not
always need insulin treatment
The blood sugar problems seen in MODY are due to a single
mutation or change within one of the MODY genes.
मधुमेह रोगियों की बढ़ती हुई संख्या को देखते हुए खाने में चीनी कम करने की सलाह दी जाती है. लेकिन खाने की कई चीज़ें ऐसी हैं जिनमें चीनी की मात्रा आश्चर्यजनक रूप से बहुत ज़्यादा होती है.
एक प्रचार अभियान 'एक्शन ऑन शुगर' खाने और सॉफ़्ट ड्रिंक्स में चीनी की मात्रा कम करने के लिए शुरू किया गया है.
इसका उद्देश्य लोगों को "छुपी हुई चीनी" के बारे में जागरुक करना और निर्माताओं को इन पदार्थों में चीनी की मात्रा घटाने को तैयार करना है.
जिन खाद्य पदार्थों में चीनी की मात्रा बेहद ज़्यादा है उनमें से पांच ये हैं:
दही
फ़ैट फ़्री का मतलब शुगर फ़्री नहीं होता, ख़ासतौर पर जब डिब्बा बंद दही की बात की जाए. अक्सर वसा को निकालने के बाद स्वाद और रंगत बनाए रखने के लिए इसमें बड़ी मात्रा में चीनी डाली जाती है.
'एक्शन ऑन शुगर' के अनुसार करीब 150 ग्राम दही, जिसमें वसा 0% हो उसमें 20 ग्राम तक चीनी हो सकती है. इसका मतलब हुआ पांच चम्मच चीनी.
डाइटीशियन डॉक्टर सारा शेनकर कहती हैं, "दिक्कत यह है कि लोग लो फैट (कम वसा वाला) खाना तो चाहते हैं लेकिन चाहते हैं कि यह फ़ैट वाले भोजन की तरह स्वादिष्ट हो."
उनके अनुसार, "इसलिए जब वसा को निकाल दिया जाता है तो उसमें कुछ और, जैसे की चीनी, मिला दी जाती है. अगर लोग सेहतमंद भोजन चाहते हैं तो उन्हें यह स्वीकार करना होगा किस यह स्वाद और रंगत में थोड़ा अलग हो सकता है."
पास्ता सॉस
टमाटरों से बनने वाले पास्ता सॉस से सेहत को होने वाले फ़ायदों को लेकर कई बातें कही जाती हैं, लेकिन दुकान से ख़रीदी गई सॉस में चीनी भरी हो सकती है.
चीनी अक्सर इसलिए मिलाई जाती है ताकि सॉस में अम्ल का स्वाद कम लगे. 150 ग्राम सॉस में करीब 13 ग्राम चीनी हो सकती है. यानी करीब तीन चम्मच.
कोलेस्ल
कोलेस्ल (एक किस्म का सलाद) में ज़्यादातर बारीक कटी हुईं या कसी हुईं सब्ज़ियां होती हैं लेकिन इसमें चीनी मिलाकर भी तैयार किया जाता है. इसके लिए ख़ासतौर पर मेयोनिस सॉस को ज़िम्मेदार माना जाना चाहिए.
दुकान से खरीदी गई एक कड़छी, करीब 50 ग्राम, कोलेस्ल में चार ग्राम तक चीनी हो सकती है. कुछ कड़छी कोलेस्ल का मतलब कई चम्मच चीनी.
डॉ शेनकर कहती हैं, "सॉसों में अक्सर चीनी काफ़ी ज़्यादा होती है."
पानी
पानी तो ठीक है, नहीं क्या? यह इस पर निर्भर करता है किस तरह का पानी, "परिष्कृत पानी" (Enhanced water) में विटामिन मिलाए जाते हैं और इसके साथ ही चीनी भी.
'एक्शन ऑन शुगर' के अनुसार कुछ ब्रांड के 500 मिलीलीटर पानी में 15 ग्राम तक चीनी होती है. यह करीब चार चम्मच चीनी के बराबर है.
ब्रेड
इसके बाद बहुत से लोगों के रोज़ के भोजन में शामिल पाव या ब्रेड. हालांकि चीनी की मात्रा अलग-अलग होती है लेकिन प्रोसेस्ड ब्रेड की एक स्लाइस में यह तीन ग्राम तक हो सकती है.
अगर एक महिला नाश्ते में एक टोस्ट और दिन के खाने में एक सैंडविच लेती है तो उसने महिलाओं के लिए स्वीकार्य चीनी की एक चौथाई मात्रा ले ली है.
डॉ शेनकर के अनुसार, "अक्सर नमकीन का मतलब यह नहीं होता कि चीनी कम है."
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) की तरफ़ से जारी वाले नए निर्देशों में लोगों को अपने खाने में शुगर की मात्रा को आधा करने की सलाह दी जाएगी.
डब्लूएचओ का कहना है कि लोगों को खाने में शुगर की मात्रा कुल कैलोरी के दस फ़ीसदी से कम रखने की सलाह दी जाएगी और इसे भविष्य में पाँच प्रतिशत तक लाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.
शुगर के सीमित उपभोग की यह सलाह भोजन में शामिल सभी तरह के मीठे के लिए लिए है, इसमें शहद, सीरप, फलों के जूस और फलों को भी शामिल किया गया है.
खाने में शुगर की मात्रा कम करने के पक्ष में अभियान चलाए जाने वालों इस पर दुख जताया है कि इस विश्व संस्था को अपनी सलाह बदलने में दस साल का समय लग गया.
डब्लूएचओ ने साल 2002 में इस सिफ़ारिश को मंजूरी दी थी कि दैनिक कैलोरी में शुगर की मात्रा दस फ़ीसदी से ज़्यादा नहीं होनी चाहिए.
'चीनी कम' करने का सुझाव
डब्लूएचओ के मुताबिक़ सामान्य वज़न वाले वयस्क के लिए दिन में 50 ग्राम शुगर की मात्रा पर्याप्त है.
हालांकि, कई विशेषज्ञ पूरी दुनिया में मोटापे के बढ़ते मामलों के बीच दस फ़ीसदी शुगर की मात्रा को भी अधिक मानते हैं.
डब्लूएचओ की तरफ़ से जारी ताज़ा मसौदे के अनुसार, "दैनिक ऊर्जा खपत में शुगर का हिस्सा दस फ़ीसदी के कम होना चाहिए."
इसमें यह भी कहा गया है कि रोज़ाना शुगर की मात्रा को पाँच फ़ीसदी से कम करने के अतिरिक्त लाभ होंगे.
डब्लूएचओ के न्यूट्रिशन डायरेक्टर डॉक्टर फ़्रांसेस्को ब्रांका ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, "दस फ़ीसदी का लक्ष्य 'ज़ोरदार सुझाव' है जबकि पाँच फ़ीसदी का लक्ष्य ताज़ा साक्ष्यों पर आधारित 'सशर्त' सुझाव है."
उन्होंने कहा, "अगर हम हासिल कर सकें तो हमें पाँच फ़ीसदी का लक्ष्य तय करना चाहिए."
सुझाव की वजह
इस योजना को लोगों की राय जानने के लिए सार्वजनिक किया जाएगा और गर्मियों तक सुझाव आने की संभावना है.
ब्रिटेन के सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि उसकी वैज्ञानिक सलाहकार समिति देशवासियों के आहार में शुगर की मात्रा की समीक्षा कर रही है.
न्यूट्रिशन और डाइट के डायरेक्टर एलिसन टेडस्टोन कहते हैं, "हमारा सर्वेक्षण दिखाता है कि ब्रिटेन की आबादी को शुगर के उपभोग के स्तर को कम करना चाहिए. वयस्कों में यह 11.6 प्रतिशत और बच्चों में 15.2 प्रतिशत है, जो दस फ़ीसदी की सिफ़ारिश से ज़्यादा है."
शुगर की मात्रा में कमी के लिए अभियान चलाने वाली संस्था एक्शन फॉर शुगर ने दैनिक कैलोरी में शुगर की मात्रा पाँच प्रतिशत करने की मांग की है.
न्यूट्रीशिनिस्ट कैथरीन जेनर ने कहा, "यह दुखद है कि डब्लूएचओ को अपनी राय बदलने में दस साल का समय लग गया."
डब्लूएचओ के सुझाव स्वास्थ्य पर शुगर के प्रभावों के बारे में किए गए वैज्ञानिक परीक्षणों पर आधारित हैं. इसमें शुगर से दांतों को होने वाले नुकसान और मोटापे पर इसका असर शामिल है.
मोटापे पर पिछले साल बीएमजे में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक़ शुगर का सेवन सीधे तौर पर मोटापे के लिए ज़िम्मेदार नहीं है लेकिन जो लोग इसका ज़्यादा सेवन करते हैं उनके मोटे होने की संभावना अधिक है.
'महत्वाकांक्षी और चुनौतीपूर्ण'
ब्रितानी शोधकर्ताओं ने शुगर के सेवन और दांतों की सड़न के बीच रिश्ते की पड़ताल की. उन्होंने पाया कि दैनिक कैलोरी में शुगर का हिस्सा दस फ़ीसदी से कम होने पर दांतों में सड़न के कम मामले सामने आए.
न्यूकासल यूनिवर्सिटी में न्यूट्रिशन एंड ओरल हेल्थ के प्रोफ़ेसर पॉउला मोनीहान ने कहा, "आप जितने कम शुगर का सेवन करते हैं, आपके दांतों में सड़न का ख़तरा उतना ही कम होता है."
किंग्स कॉलेज लंदन के स्कूल ऑफ़ मेडिसिन के प्रोफ़ेसर टॉम सैंडर्स ने कहते हैं, "पाँच फ़ीसदी के लक्ष्य को हासिल करने का प्रयास और परीक्षण नहीं हुआ है लेकिन दस प्रतिशत व्यावहारिक है."
तो वहीं मेडिकल रिसर्च काउंसिल की एपिडेमीलॉजी यूनिट की डॉक्टर नीता फॉरोही ने पाँच फ़ीसदी लक्ष्य के बारे में कहा, "यह काफ़ी महत्वाकांक्षी और चुनौतीपूर्ण है."
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