Wednesday, September 02, 2009

తెలుగుల చక్కెరరోగం సదువు

తెలుగులో డయబెటీసు విద్య అని నేనొక బ్లాగు ప్రజలకు ఉపయోగపడెందుకు వ్రాస్తున్నాన్ను .
కాని కాలాభావం వల్ల మరియు తెలుగు బాష వాదుక తగ్గిపోఇనందువల్ల్ తర్జుమా చేయదం కష్తతరమై ఎక్కువ విషయాలు చెప్పలేక పోతున్నాను .
ఎవరైన తెలుగు బాగ తెలిసినవారు
వీటిని తెలుగులోకి అనువదిస్తే అది అందరికి ఉపయోగ పడుతుంది.
మీ నుంచి ఈ సహాయాని అర్థిస్తున్నను .
మీకు వీలైతే నా ఇమెయిల్ కి రయగలరు
నమస్కారం
haridallas@gmail.com
http://diabetiisu.blogspot.com/
తెలుగుల చక్కెరరోగం సదువు అని నేనో బ్లాగు శాన మందికి పనికొస్తదని రాస్తున్న గాని తెలుగ్ సక్కంగ రాక తర్జుమా చేసేది ఐతలేదు.అదిగాక పని తెమల్తలేదు రాయనికి టైం జాల్తలేదు
ఎవళ్ళన్న తెలుగు బాగొచ్చినోల్లు
ఈటిని తెలుగుల తర్జుమజేస్తె అది అందరికి పనికొస్తది, యెవురైనా సరె గిది చెయ్యనికి మనసుబడ్తె నాకు రాయుండి దండాలు
హరిడల్లస్
haridallas@gmail.com
http://diabetiisu.blogspot.com/

Thursday, July 30, 2009

उच्च रक्तचाप ' मौन स्ट्रोक" पैदा कर सकता हैं

उच्च रक्तचाप ' मौन स्ट्रोक" पैदा कर सकता हैं

"मौन" स्ट्रोक
में मस्तिष्क क्षति का कोई भी लक्षण
नहीं
होता है. लेकिन दिमाग का नुकसान होता है

60 से अधिक उम्र के आम लोगों में और उच्च रक्तचाप के साथ लोगों को विशेष रूप से होते हैं.

स्वास्थ्य पर धीरे मोटापे का असर के अतिरिक्त निवारण के लिए किया जा सकता है: विशेषज्ञ

स्वास्थ्य पर धीरे मोटापे का असर के अतिरिक्त निवारण के लिए किया जा सकता है: विशेषज्ञ


 

वजन शाकर्स स्लाइड शो स्टीवन रिन्बर्ग से <

मंगलवार, 28 जुलाई (HealthDay News) -- <BR> मंगलवार वॉशिंगटन डीसी में विशेषज्ञों का एक राष्ट्रीय सम्मेलन में रिपोर्ट. संयुक्त राज्य अमेरिका में अब मोटापा प्रत्यक्ष चिकित्सा की कीमत में प्रति वर्ष $ 147 अरब की भारी कीमत वहन < <BR>&nbsp; सभी चिकित्सा व्यय की बस पर 9%, <BR>&nbsp; <BR> <BR><BR>"परिप्रेक्ष्य में, यह राशि डाल करने के लिए <BR>&nbsp; अमेरिकन कैंसर सोसायटी <BR>&nbsp; अनुमान है कि <BR>सभी कैंसर <BR>&nbsp; संयुक्त लागत <BR>&nbsp; हमारे स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली <BR>$ 93 बिलियन एक वर्ष. <BR>तो मोटापा समाप्त <BR> <BR>&nbsp; हमारे स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली <BR>&nbsp; 50% अधिक डॉलर <BR>&nbsp; कैंसर का इलाज, "से अधिक बच होगा

Monday, July 27, 2009

I have this new office 2007 which makes it much more easier to post my blog postings.

I hope to post at least a few postings on a daily basis

Thursday, July 23, 2009

मधुमेह के उपचार के लिए नयी इंसुलिन

Home » विभिन्न » 18 July 2009 »

मधुमेह के उपचार के लिए नयी इंसुलिन

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मधुमेह से पीड़ित रोगियों के लिए भारतीय बाजार में एक देशी दवा कंपनी ने ऐसी प्रभावी इंसुलिन ईजाद की है जिसका इस्तेमाल रोगी भोजन से पहले या भोजन के बाद कभी भी कर सकता है।
मधुमेह रोग के विशेषज्ञ डा. कर्नल सुरेंद्र कुमार के अनुसार देश में पहली बार इस तरह की इंसुलिन देशी कंपनी द्वारा तैयार की गयी है जिससे रोगी को बहुत लाभ मिल सकता है और इसका असर 24 घंटे तक रहता है। उन्होंने कहा कि बायोकान फार्मेसी ने इस वर्ष मई में इस इंसुलिन को भारतीय बाजार में उतारा है।
डा. कुमार के अनुसार देश में यह इंसुलिन आयात की जाने वाली इंसुलिन की तुलना में कहीं सस्ती और आसानी से उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि अमेरिका की एक बहुराष्ट्रीय कंपनी इस दवा का उत्पादन करती थी लेकिन अब भारतीय कंपनी ने देश में ही इसका उत्पादन शुरू कर दिया है।
देश में मधुमेह कमजोर वर्ग को तेजी से अपनी चपेट में ले रहा है। एक अनुमान के अनुसार देश में इस समय 10 से 11 प्रतिशत उच्च जीवनशैली के लोग इस बीमारी की चपेट में हैं जबकि निचले स्तर के 33 प्रतिशत लोगों में यह रोग फैल चुका है। एक सर्वेक्षण के अनुसार वर्ष 1995 में इस रोग से करीब 1.9 करोड़ लोग पीड़ित थे और वर्ष 2025 तक इसकी चपेट में करीब छह करोड़ लोग आ सकते हैं।
मधुमेह एक खतरनाक रोग है। रोगी जो भोजन खाता है उसके शरीर को उससे पोषण नहीं मिलता है, रोगी जब भोजन करता है तो उसके शरीर की शर्करा (शुगर) बढ़ जाती है लेकिन इंसुलिन इसे संतुलित रखती हैं। जिन लोगों को यह रोग नहीं होता है उनकी इंसुलिन स्वतः बनती रहती है लेकिन इंसुलिन नहीं होने पर शुगर बढ़ जाता है जो व्यक्ति के रक्त संचार, धमनियां, किडनी, जननांग, हृदय तथा आंखों को प्रभावित करता है। मधुमेह के रोगी को जबरदस्त प्यास लगती है और बार-बार पेशाब आता है। रोगी की भूख बढ़ जाती है और अनेक मामलों में उसे धुंधला दिखने लगता है। उसका वजन घटता है अथवा बढ़ता है उसे अक्सर थकान महसूस होती है और नींद आती है। इसके अतिरिक्त रोगी के हाथ या पांव सुन्न हो जाते हैं और महिलाओं के गुप्तांग में खुजली तथा इन्फेक्शन की शिकायत रहती है। इसके अलावा घाव देर से भरता है तथा पसीना ज्यादा आता है।
चिकित्सकों का मानना है कि यह रोग वैसे तो सारी दुनिया के लिये चिंता का कारण बना हुआ है पर भारतीय जीवनशैली में आ रहे बदलाव की वजह से यह रोग भारत में तेजी से फैल रहा है, इसलिए इस रोग से बचाव के तरीकों पर जनजागरण सम्मेलन चलाये जाने चाहिए।