Wednesday, July 01, 2009

Practical strategies for introducing Insulin Therapy

Practical strategies for introducing Insulin Therapy

An estimated 20.8 million petsons in the
United States (approximately 7% of the
population) have diabetes; the vast majority
(90%-95%) has type 2 diabetes.

भारत में करीब 33 मिलीयन (3 करोड़ तीस लाख) लोगों को मधुमेह की बीमारी हो चुकी है। जिसमें करीब 98% लोग 'टाइप-2' डायबिटीज से प्रभावित हैं।
30 % adhik lOg yah bi jaante nahi ki une dyabeTIIs ki bImaarii hai
2025 तक भारत मधुमेह 170% की दर से बढ़ेगा.

मुख्य अंश और सिफारिशें

टाइप 2 मधुमेह के मरीजों के साथ जो 2 से अधिक प्रकार की अंटी डायबेटिक दवाओं (OADs) गोली के रूप में ले रहे हैं और जिनकी ग्लाइकोसाइलेटेड हीमोग्लोबिन (A1C) 7% और 10% के बीच मूल्यों में है उनके अच्छा नियंत्रण बेसल इंसुलिन के लिए अच्चे उम्मीदवार हैं .

जब जो लोगोंका इलाज सिर्फ इंसुलिन के साथ किया जा रहा है,उने जोलोग जिनको इंसुलिन के साथ>+ OADs से इलाजकिया जा रहा है अगर तुलना करे तो उनका Hba1c behtar नियंत्रण में आती है उने कम वजन बदौती , और हो सकता है
कुछ कम हैपोग्लैसिमिक घटनाओं के साथ.झेल ना पड़ता है



मधुमेह के इलाज की आशा
जीन थेरेपी से डायबिटीज़ के मरीज़ों के लिए नई उम्मीद
हर इंसान के शरीर में एक ऐसा हॉर्मोन बनता है जो ख़ून में शुगर यानि चीनी के स्तर को नियंत्रण में रखता है.लेकिन डायबिटीज़ यानि मधुमेह से पीड़ित व्यक्ति के शरीर में ये हॉर्मोन काफ़ी मात्रा में नहीं बन पाता.इसका मतलब ऐसा व्यक्ति अपने ख़ून में चीनी की मात्रा को क़ाबू में नहीं रख पाता जिससे गुर्दों, टाँगों, आँखों और दिल की तकलीफ़ हो सकती है.अब शोधकर्ताओं ने पाया है कि जीन थेरेपी की तकनीक अपनाने से मधुमेह के मरीज़ों के लिए नई उम्मीद जगी है.अगर मधुमेह का इलाज न किया जाए तो दिल का दौरा भी पड़ सकता है और जानलेवा भी हो सकता है.

आलस भरी ज़िंदगी और उलटा सीधा खाने से डायबिटीज़ हो सकती है और इलाज न करने पर दिल का दौरा भी पड़ सकता है
इस बीमारी के मरीज़ अपने खाने पीने पर क़ाबू रखकर या फिर नियमित तौर पर इंसुलिन के इंजेक्शन लेकर सेहत ठीक रख सकते हैं लेकिन इलाज का ये तरीक़ा पूरी तरह कारगर नहीं है.इसी वजह से डॉक्टर जीन थेरेपी के ज़रिए कोई रास्ता निकालने की कोशिश करते रहे हैं.जीन थेरेपीडॉक्टरों ने कोशिश की कि रोगी शरीर में इंसुलिन बनने के स्थान यानि पेनक्रिएटिक सेल्स को एक स्वस्थ आदमी के सेल्स से बदल दिया जाए तो मधुमेह के इलाज में मदद मिल सकती है.लेकिन ये तरीक़ा ख़तरे से ख़ाली नहीं है.इसलिए डॉक्टरों के इस दल ने इंसुलिन बनाने वाले 'जीन्स' को ही बीमार चुहे के शरीर में डाल दिया जिससे जिगर के सेल्स पेनक्रिएटिक सेल्स में बदल गए.इससे इंसुलिन पर्याप्त मात्रा में निकलने लगा और चूहा पूरी तरह स्वस्थ दिखाई दिया. दुनिया भर में आलस भरी ज़िंदगी जीने और उलटा सीधा खाने का चलन बढ़ रहा है और इससे डायबिटिज़ की समस्या भी बढ़ती जा रही है.ऐसे में जीन थेरेपी इसे रोकने की दिशा में उम्मीद की नई किरण हो सकती है.


'कोको से मधुमेह के मरीज़ो को फ़ायदा'

चेतावनी भी दी गई कि मधुमेह के मरीज़ो को चॉकलेट खाने की सलाह नहीं दी जा रही
कोको का एक कप डायबटीज़ यानी मधुमेह के मरीज़ों की रक्त वाहिकाओं में रक्त के प्रवाह को बेहतर बना सकता है.
डॉक्टरों ने मरीज़ों को ख़ासतौर पर बनाए गए कोको के तीन मग हर दिन एक महीने तक पीने को कहा और पाया कि बहुत बुरी तरह से प्रभावित हुई धमनियाँ सामान्य रूप से काम करना शुरू कर देती हैं.
अमेरिकन कॉलेज ऑफ़ कार्डियोलॉजी की पत्रिका में छपा यह जर्मन अध्ययन संकेत देता है कि इसके लिए फ़्लेवनॉल्स नामक रसायन ज़िम्मेदार हो सकता है.
लेकिन ब्रिटेन की ग़ैरसरकारी संस्था डायबिटीज़ का कहना है कि सामान्य चॉकलेट को ज़्यादा खाने से ऐसा नतीजे नहीं मिल सकते.
डायबटीज़ के मरीज़ों को हृदय रोग से संबंधित समस्याओं का ख़तरा ज़्यादा रहता है, जिसका आंशिक कारण होता है रक्त वाहिकाओं पर 'ब्लड शूगर' से हुआ बुरा प्रभाव जिससे रक्त वाहिकाएँ शरीर की ज़रूरत के अनुसार फैल नहीं पाती हैं.
इससे रक्तचाप बढ़ सकता है और बहुत सारी दूसरी समस्याएँ पैदा हो सकती हैं.
जबकि स्वस्थ जीवनशैली इस ख़तरे घटा सकती है चाहे इस समास्या का पूरी तरह समाधान नहीं कर सकती.
डायबटीज़ के मरीज़ों में हृदय रोग से संबंधित समस्याओं के बचाव में स्वस्थ भोजन के रूप में फ़्लेवनॉल की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है. मधुमेह के मरीज़ों को ये सलाह नहीं दी जा रही कि वे ढेर सारी चॉकलेट खाना शुरु कर दें

शोधकर्ता डॉक्टर केम
कोको में प्राकृतिक रूप से फ़्लेवनॉल नाम का एंटीऑक्सीडेंट रसायन होता है जो कुछ फलों-सब्जियों, हरी चाय और रेड वाइन में भी पाया जाता है. बहुत से अध्ययनों में इस रसायन को स्वास्थ्य के हितों से जोड़ा गया है.
'आम कोको नहीं'
अध्ययन में जिस तरह के कोको का इस्तेमाल हुआ वह दुकानों में नहीं मिलता और इसमें बहुत उच्च सांद्रता में यह रसायन पाया जाता है.
कई दूसरे अध्ययनों में भी यह परखने की कोशिश की जा रही है कि फ्लेवनॉल मरीज़ों के लिए फ़ायदेमंद है या नहीं.
दस मरीज़ों को तीस दिनों तक प्रतिदिन तीन बार कोको पीने को कहा गया और इसके बाद उनकी रक्त वाहिकाओं के काम को देखने के लिए एक विशेष परीक्षण किया गया.
शरीर में ज़्यादा ख़ून की माँग के अनुसार रक्त वाहिकाओं के फैलने की क्षमता तुरंत ही बढ़ती हुई प्रतीत हुई.
एक औसत के अनुसार, एक स्वस्थ व्यक्ति की रक्तवाहिकाएँ पाँच फ़ीसदी तक फैल सकती हैं जबकि डायबटीज़ के मरीज़ों में यह कोको पीने से पहले मात्र 3.3 फ़ीसदी था.
कोको पीने के दो घंटे के बाद उनकी रक्तवाहिकाओं के फैलने की क्षमता औसत 4.8 फ़ीसदी हो गई और कोको पीने के दो घंटे के बाद यह बढ़कर 5.7 फ़ीसदी हो गई.
चॉकलेट पर चेतावनी
आचेन में यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल के डॉक्टर माल्टे केम जिन्होंने इस अध्ययन का नेतृत्व किया है, कहते हैं, "डायबटीज़ के मरीज़ों में हृदय रोग से संबंधित समस्याओं के बचाव में स्वस्थ भोजन के रूप में फ़्लेवनॉल की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है."
लेकिन वे आगाह भी करते हैं कि ये अध्ययन चॉकलेट के बारे में नहीं है या फिर मधुमेह के मरीज़ों को ये सलाह नहीं दी जा रही कि वे ढेर सारी चॉकलेट खाना शुरु कर दें.
ब्रिटेन की संस्था डायबटीज़ के एक प्रवक्ता ने इन परिणामों को दिलचस्प बताया है.
उनके अनुसार, फ़्लेवनॉल को अधिक मात्रा में प्रयोग करने के बाद लंबे समय में पड़ने वाले इसके प्रभाव के बारे में पता लगाने के लिए अभी और शोध की ज़रूरत है.







मधुमेह (प्राकथन)
नोट-- इस वेब साइट के सभी लेख डा.एन.के.सिंह,निदेशक,डी.एच.आर.सी.द्वारा लिखित है।कापीराईट नियमों के अधीन किसी भी सामग्री का अन्यत्र उपयोग बिना लेखक की अनुमति के प्रतिबन्धित है।आपके विचारों का स्वागत है।डायबिटीज से सम्बंधित कोई सलाह चाहते हैं तो मेल करें-drnks@yahoo.com
राष्ट्रीय सलाहकार समिति
एक नजर-
यह अनुमान किया गया है कि अभी भारत में करीब 33 मिलीयन (3 करोड़ तीस लाख) लोगों को मधुमेह की बीमारी हो चुकी है। जिसमें करीब 98% लोग 'टाइप-2' डायबिटीज से प्रभावित हैं। और यही स्वरुप इस देश की अहम समस्या है। दो द्शक पहले मधुमेह की व्यापकतादर ग्रामीण क्षेत्रों में 1.5% तथा शहरी क्षेत्रों में 2.1% पायी गयीथी; अब ग्रामीण क्षेत्रों में 2.07% तथा शहरी क्षेत्रों में 8 से 18% तक जा पहुँची है। यह भी विचारणीय प्रश्न है कि 2025 तक भारत मधुमेह 170% की दर से बढ़ेगा, यह विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है। जिस तेजी से मधुमेह भारत में फैल रहा है उस अनुपात में हमारी स्वास्थ्य व्यवस्था समस्या से निबटने में बिल्कुल पंगु है।



भारत में 2100 लोगों पर एक चिकित्सक मौजूद है यह अमेरिका के 549 पर एक चिकित्सक के अनुपात में यह कोई बुरा नहीं है। मगर यहाँ नर्सों और मिडवाइफ की उपस्थिति काफी खराब है करीब 2238 लोगों पर एक, अभी 30000 लोगों पर एक स्वास्थय केंन्द्र हैं। और भारत में हेल्थ केयर डेलीवरी का यही व्यवस्थित ढ़ाँचा है। मधुमेह के रोंगियों में 95% का ईलाज इसी व्यवस्थित ढ़ाँचा के तहत होता है। मगर सच्चाई यह है कि यह सिस्टम मधुमेह एवं ह्र्दयाघात जैसी मार्डन बीमारियों के ईलाज एवं रोकथाम के लिए पूर्णतः नाकाम है। इनकी पूरी दॄष्टि संक्रामक रोगों की और केन्द्रित है। यह अलग बात है कि संक्रामक रोगों के रोकथाम में भी(पोलियो छोड़कर) इनको भारी विफलता मिली है। निश्चित रुप से अभीऐसा कोई माहौल नहीं बना है कि सिस्टम हमारी जनता को यह बतायेगा कि किस तरह मधुमेह से हम बच सकते हैं। मधुमेह के कारण होने वाले अन्धेपन, किडनी फैल्यर, पैरों का एम्पुटेशन(काटना), डायबिटीक हार्ट रोग, गर्भावस्था पर दुष्परिणाम जैसी समस्याओं से निबटने हेतु हमारी कोई प्राथमिकता बनी ही नही है। इसे भाग्य भरोसे छोड़ दिया गया है।
दिन-ब-दिन शहरीकरण बढ़ रहा है। आदमी का भोज्य पदार्थ दूषित होता जा रहा है। तथाकथित मिडिल क्लास का भोजन भी सेचुरेटेड फैट्स एवं रिफाइन्ड भोज्य पदार्थो से सज रहा है। फिर देश के लोग आलसी और काहिल होता जा रहा हैं। शारीरिक मेहनत और व्यायाम का निरन्तर अभाव होता जा रहा है। कोका-कोला क्लचर सर्वव्यापी हो गया है और हम अपने बच्चों को फलऔर दूध की बजाय मिठाइयाँ, टॉफी और पेस्ट्री परोसते जा रहे हैं। भारतीय जन समुदाय प्राकॄतिक तौर पर जेनेटिक प्रभाव के कारण मधुमेह होने की ओर तत्पर है, उस पर बदलती जीवन शैली की मार के कारण अब 30 की उम्र के आस पास लोगों में यह बीमारी खूब उफान मार रही है।
समस्या का आकलन करते हुए मेरी स्पष्ट धारणा है कि जब बीमारी शुरु हो जाए तब हाथ-पैर मारने के बजाय पहले से ही सतर्क हो जाना ज्यादा हितकर है। स्कूल कॉलेज के दिनों से ही यह सन्देश भावी पीढ़ी को दे देना है कि खानपान में सादा भोजन अपना कर एवं नियमित शारीरिक मेहनत के तहत मधुमेह से बचा जा सकता है। मधुमेह से अगर वे बचते हैं तो कई बीमारियों से स्वतः बचाव हो जाएगा। जैसे ह्र्दय आघात, स्ट्रोक, किडनी फेल्योर, अन्धापन आदि।
यह वेबसाइट एक प्रयास है उन लोगों के लिए जो मधुमेह की पूरी जानकारी हिन्दी में चाहते है।


जी हाँ बचाव सम्भव है।
मुख्य सन्देश हैः
खुब शारीरिक मेहनत करें।
पैदल चलें।
एइरोबिक व्यायाम।
योगासन करें।
बैडमिन्टन खेलें।
नियमित खूब साईकिल चलावें।
तैराकी करें।
आस पास जमीन हो तो कुदाल चलावें।
तथाकथित आधुनिक तामसिक भोज्य पदार्थो को बचपन से ही न खाएँ, जैसे -
मिठाई , फास्ट फूड , चाट , कोल्ड ड्रिंक , चाकलेट , टॉफी , डब्बे में बन्द सामग्री।
जो मधुमेह के रोगी अपनी बीमारी का नियंत्रण ठीक से करते हैं वो 100 साल जी सकते हैं।





5102 रोगियों को 20 साल अध्ययन बाद यू. के. पी. डी. स्टडी
मधुमेह ko नियन्त्रित रख ne se
Sabhi दुष्परिणामों से बच सकते है
माइक्रोवासकुलर दुष्परिणामों से बच सकते है
अन्धेपन से बच सकते है
स्ट्रोक से बच सकते है
हॄदयाघात से बच सकते है

मधुमेह में शिक्षा ज्यादा जरुरी है, सही जानकारी से आप अपने को स्वस्थ रख सकते है।
चालीस की उम्रके बाद बिना किसी लक्षण के भी ब्लड सुगर की सालाना अवश्य जॉच कराएँ।
मधुमेह
मधुमेह होने पर शरीर में भोजन को ऊर्जा में परिवर्तित करने की सामान्य प्रक्रिया तथा होने वाले अन्य परिवर्तनों का विवरण नीचे दिया जा रहा है-भोजन का ग्लूकोज में परिवर्तित होनाः हम जो भोजन करते हैं वह पेट में जाकर एक प्रकार के ईंधन में बदलता है जिसे ग्लूकोज कहते हैं। यह एक प्रकार की शर्करा होती है। ग्लूकोज रक्त धारा में मिलता है और शरीर की लाखों कोशिकाओं में पहुंचता है।ग्लूकोज कोशिकाओं में मिलता हैः अग्नाशय(पेनक्रियाज) वह अंग है जो रसायन उत्पन्न करता है और इस रसायन को इनसुलिन कहते हैं। इनसुलिन भी रक्तधारा में मिलता है और कोशिकाओं तक जाता है। ग्लूकोज से मिलकर ही यह कोशिकाओं तक जा सकता है।कोशिकाएं ग्लूकोज को ऊर्जा में बदलती हैः शरीर को ऊर्जा देने के लिए कोशिकाएं ग्लूकोज को उपापचित (जलाती) करती है।मधुमेह होने पर होने वाले परिवर्तन इस प्रकार हैं: मधुमेह होने पर शरीर को भोजन से ऊर्जा प्राप्त करने में कठिनाई होती है।भोजन ग्लूकोज में बदलता हैः पेट फिर भी भोजन को ग्लूकोज में बदलता रहता है। ग्लूकोज रक्त धारा में जाता है। किन्तु अधिकांश ग्लूकोज कोशिकाओं में नही जा पाते जिसके कारण इस प्रकार हैं:1. इनसुलिन की मात्रा कम हो सकती है।2. इनसुलिन की मात्रा अपर्याप्त हो सकती है किन्तु इससे रिसेप्टरों को खोला नहीं जा सकता है।3. पूरे ग्लूकोज को ग्रहण कर सकने के लिए रिसेप्टरों की संख्या कम हो सकती है।कोशिकाएं ऊर्जा पैदा नहीं कर सकती हैःअधिकांश ग्लूकोज रक्तधारा में ही बना रहता है। यही हायपर ग्लाईसीमिआ (उच्च रक्त ग्लूकोज या उच्च रक्त शर्करा) कहलाती है। कोशिकाओं में पर्याप्त ग्लूकोज न होने के कारण कोशिकाएं उतनी ऊर्जा नहीं बना पाती जिससे शरीर सुचारू रूप से चल सके।
मधुमेह के लक्षणः
मधुमेह के मरीजों को तरह-तरह के अनुभव होते हैं। कुछेक इस प्रकार हैं:
· बार-बार पेशाब आते रहना (रात के समय भी)
· त्वचा में खुजली
· धुंधला दिखना
· थकान और कमजोरी महसूस करना
· पैरों में सुन्न या टनटनाहट होना
· प्यास अधिक लगना
· कटान/घाव भरने में समय लगना
· हमेशा भूख महसूस करना
· वजन कम होना
· त्वचा में संक्रमण होना
हमें रक्त शर्करा पर नियंत्रण क्यों रखना चाहिए ?
· उच्च रक्त ग्लूकोज अधिक समय के बाद विषैला हो जाता है।
· अधिक समय के बाद उच्च ग्लूकोज, रक्त नलिकाओं, गुर्दे, आंखों और स्नायुओं को खराब कर देता है जिससे जटिलताएं पैदा होती है और शरीर के प्रमुख अंगों में स्थायी खराबी आ जाती है।
· स्नायु की समस्याओं से पैरों अथवा शरीर के अन्य भागों की संवेदना चली जा सकती है। रक्त नलिकाओं की बीमारी से दिल का दौरा पड़ सकता है, पक्षाघात और संचरण की समस्याएं पैदा हो सकती है।
· आंखों की समस्याओं में आंखों की रक्त नलिकाओं की खराबी (रेटीनोपैथी), आंखों पर दबाव (ग्लूकोमा) और आंखों के लेंस पर बदली छाना (मोतियाबिंद)
· गुर्दे की बीमारी (नैफ्रोपैथी) का कारण, गुर्दा रक्त में से अपशिष्ट पदार्थ की सफाई करना बंद कर देती है। उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन) से हृदय को रक्त पंप करने में कठिनाई होती है।
उच्च रक्तचाप के विषय में और अधिक जानकारीः
हृदय धड़कने से रक्त नलिकाओं में रक्त पंप होता है और उनमें दबाव पैदा होता है। किसी व्यक्ति के स्वस्थ होने पर रक्त नलिकाएं मांसल और लचीली होती है। जब हृदय उनमें से रक्त संचार करता है तो वे फैलती है। सामान्य स्थितियों में हृदय प्रति मिनट 60 से 80 की गति से धड़कता है। हृदय की प्रत्येक धड़कन के साथ रक्त चाप बढ़ता है तथा धड़कनों के बीच हृदय शिथिल होने पर यह घटता है। प्रत्येक मिनट पर आसन, व्यायाम या सोने की स्थिति में रक्त चाप घट-बढ़ सकता है किंतु एक अधेड़ व्यक्ति के लिए यह 130/80 एम एम एचजी से सामान्यतः कम ही होना चाहिए। इस रक्त चाप से कुछ भी ऊपर उच्च माना जाएगा।उच्च रक्त चाप के सामान्यतः कोई लक्षण नहीं होते हैं; वास्तव में बहुत से लोगों को सालों साल रक्त चाप बना रहता है किंतु उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं हो पाती है। इससे तनाव, हतोत्साह अथवा अति संवेदनशीलता से कोई संबंध नहीं होता है। आप शांत, विश्रान्त व्यक्ति हो सकते हैं तथा फिर भी आपको रक्तचाप हो सकता है। उच्च रक्तचाप पर नियंत्रण न करने से पक्षाघात, दिल का दौरा, संकुलन हृदय गति रुकना या गुर्दे खराब हो सकते हैं। ये सभी प्राण घातक हैं। यही कारण है कि उच्च रक्तचाप को "निष्क्रिय प्राणघातक" कहा जाता है।कोलेस्ट्रोल के विषय में और अधिक जानकारीःशरीर में उच्च कोलेस्ट्रोल का स्तर होने से दिल का दौरा पड़ने का का खतरा चार गुना बढ़ जाता है। रक्तधारा में अधिक कोलेस्ट्रोल होने से धमनियों की परतो पर प्लेक (मोटी सख्त जमा) जमा हो जाती है। कोलेस्ट्रोल या प्लेक पैदा होने से धमनियां मोटी, कड़ी और कम लचीली हो जाती है जिसमें कि हृदय के लिए रक्त संचारण धीमा और कभी-कभी रूक जाता है। जब रक्त संचार रुकता है तो छाती में दर्द अथवा कंठशूल हो सकता है। जब हृदय के लिए रक्त संचार अत्यंत कम अथवा बिल्कुल बंद हो जाता है तो इसका परिणाम दिल का दौड़ा पड़ने में होता है। उच्च रक्त चाप और उच्च कोलेस्ट्रोल के अतिरिक्त यदि मधुमेह भी हो तो पक्षाघात और दिल के दौरे का खतरा 16 गुना बढ़ जाता है।मधुमेह का प्रबंधनमधुमेह होने के कारण पैदा होने वाली जटिलताओं की रोकथाम के लिए नियमित आहार, व्यायाम, व्यक्तिगत स्वास्थ्य, सफाई और संभावित इनसुलिन इंजेक्शन अथवा खाने वाली दवाइयों (डॉक्टर के सुझाव के अनुसार) का सेवन आदि कुछ तरीके हैं।व्यायामः व्यायाम से रक्त शर्करा स्तर कम होता है तथा ग्लूकोज का उपयोग करने के लिए शारीरिक क्षमता पैदा होती है। प्रतिघंटा 6 कि.मी की गति से चलने पर 30 मिनट में 135 कैलोरी समाप्त होती है जबकि साइकिल चलाने से लगभग 200 कैलोरी समाप्त होती है।मधुमेह में त्वचा की देख-भालः मधुमेह के मरीजों को त्वचा की देखभाल करना अत्यावश्यक है। भारी मात्रा में ग्लूकोज से उनमें कीटाणु और फफूंदी लगने की संभावना बढ़ जाती है। चूंकि रक्त संचार बहुत कम होता है अतः शरीर में हानिकारक कीटाणुओं से बचने की क्षमता न के बराबर होती है। शरीर की सुरक्षात्मक कोशिकाएं हानिकारक कीटाणुओं को खत्म करने में असमर्थ होती है। उच्च ग्लूकोज की मात्रा से निर्जलीकरण(डी-हाइड्रेशन) होता है जिससे त्वचा सूखी हो जाती है तथा खुजली होने लगती है।
शरीर की नियमित जांच करें तथा निम्नलिखित में से कोई भी बाते पाये जाने पर डॉक्टर से संपर्क करें
· त्वचा का रंग, कांति या मोटाई में परिवर्तन
· कोई चोट या फफोले
· कीटाणु संक्रमण के प्रारंभिक चिह्न जैसे कि लालीपन, सूजन, फोड़ा या छूने से त्वचा गरम हो
· उरुमूल, योनि या गुदा मार्ग, बगलों या स्तनों के नीचे तथा अंगुलियों के बीच खुजलाहट हो, जिससे फफूंदी संक्रमण की संभावना का संकेत मिलता है
· न भरने वाला घाव
त्वचा की सही देखभाल के लिए नुस्खेः
· हल्के साबुन या हल्के गरम पानी से नियमित स्नान
· अधिक गर्म पानी से न नहाएं
· नहाने के बाद शरीर को भली प्रकार पोछें तथा त्वचा की सिलवटों वाले स्थान पर विशेष ध्यान दें। वहां पर अधिक नमी जमा होने की संभावना होती है। जैसा कि बगलों, उरुमूल तथा उंगलियों के बीच। इन जगहों पर अधिक नमी से फफूंदी संक्रमण की अधिकाधिक संभावना होती है।
· त्वचा सूखी न होने दें। जब आप सूखी, खुजलीदार त्वचा को रगड़ते हैं तो आप कीटाणुओं के लिए द्वार खोल देते हैं।
· पर्याप्त तरल पदार्थों को लें जिससे कि त्वचा पानीदार बनी रहे।
घावों की देखभालःसमय-समय पर कटने या कतरने को टाला नहीं जा सकता है। मधुमेह की बीमारी वाले व्यक्तियों को मामूली घावों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि संक्रमण से बचा जा सके। मामूली कटने और छिलने का भी सीधे उपचार करना चाहिएः
· यथाशीघ्र साबुन और गरम पानी से धो डालना चाहिए
· आयोडिन युक्त अलकोहाल या प्रतिरोधी द्रवों को न लगाएं क्योंकि उनसे त्वचा में जलन पैदा होती है
· केवल डॉक्टरी सलाह के आधार पर ही प्रतिरोधी क्रीमों का प्रयोग करें
· विसंक्रमित कपड़ा पट्टी या गाज से बांध कर जगह को सुरक्षित करें। जैसे कि बैंड एड्स
निम्नलिखित मामलों में डॉक्टर से संपर्क करें:
· यदि बहुत अधिक कट या जल गया हो
· त्वचा पर कहीं पर भी ऐसा लालीपन, सुजन, मवाद या दर्द हो जिससे कीटाणु संक्रमण की आशंका हो
· रिंगवर्म, जननेंद्रिय में खुजली या फफूंदी संक्रमण के कोई अन्य लक्षण
मधुमेह होने पर पैरों की देखभालःमधुमेह की बीमारी में आपके रक्त में ग्लूकोज के उच्च स्तर के कारण स्नायु खराब होने से संवेदनशीलता जाती रहती है। पैरों की देखभाल के कुछ साधारण उपाय इस प्रकार है:पैरों की नियमित जांच करें:
· पर्याप्त रोशनी में प्रतिदिन पैरों की नजदीकी जांच करें। देखें कि कहीं कटान और कतरन, त्वचा में कटाव, कड़ापन, फफोले, लाल धब्बे और सूजन तो नहीं है। उंगलियों के नीचे और उनके बीच देखना न भूलें।
· पैरों की नियमित सफाई करें:पैरों को हल्के साबुन से और गरम पानी से प्रतिदिन साफ करें।
· पैरों की उंगलियों के नाखूनों को नियमित काटते रहें
· पैरों की सुरक्षा के लिए जूते पहने

मधुमेह संबंधी आहार
यह आहार भी एक स्‍वस्‍थ व्‍यक्ति के सामान्य आहार की तरह ही है, ताकि रोगी की पोषण संबंधी पोषण आवश्यकता को पूरी की जा सके एवं उसका उचित उपचार किया जा सके। इस आहार में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कुछ कम है लेकिन भोजन संबंधी अन्य सिद्धांतो के अनुसार उचित मात्रा में है।
मधुमेह संबंधी समस्त आहार के लिए निम्नलिखित खाद्य पदार्थो से बचा जाना चाहिए:
जड़ एवं कंद
मिठाइयाँ, पुडिंग और चॉकलेट
तला हुआ भोजन
सूखे मेवे
चीनी
केला, चीकू, सीताफल आदि जैसे फल
आहार नमूना
खाद्य सामग्री
शाकाहारी भोजन(ग्राम में)
मांसाहारी भोजन (ग्राम में)
अनाज
२००
२५०
दालें
६०
२०
हरी पत्तेदार सब्जियाँ
२००
२००
फल
२००
२००
दूध (डेयरी का)
४००
२००
तेल
२०
२०
मछली/ चिकन-बगैर त्वचा का
-
१००
अन्य सब्जियाँ
२००
२००

ये आहार आपको निम्न चीजें उपलब्ध कराता है-
कैलोरी
१६००
प्रोटीन
६५ ग्राम
वसा
४० ग्राम
कार्बोहाइड्रेट
२४५ ग्राम

वितरण

अब मधुमेह के मरीजों के लिए हर्बल चाय!

http://samachar.boloji.com/200803/18549.htm
अब मधुमेह के मरीजों के लिए हर्बल चाय!

ढाका, 6 मार्च (आईएएनएस)। बांग्लादेश के वैज्ञानिकों ने मधुमेह रोगियों के लिए विशेष प्रकार की औषधीय गुणों से भरपूर चाय पत्ती तैयार की है। खास बात यह है कि मधुमेह के मरीजों के लिए यह चाय विशेष रूप से लाभकारी है।

इसका सेवन करने वालों को इंसुलिन के टीके भी अपेक्षाकृत कम लगवाने पड़ेंगे।

समाचार पत्र 'डेली स्टार' में गुरुवार को प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार 'बांग्लादेश वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद' (बीसीएसआईआर) के वैज्ञानिकों ने जरूल वृक्ष की पत्तियों से इस चाय पत्ती को तैयार किया गया है।

रिपोर्ट में 'डाइबिटिक एसोसिएशन' के अध्यक्ष आजाद खान के हवाले से लिखा गया है कि प्राकृतिक गुणों से भरपूर होने की वजह से इस चाय पत्ती के सेवन से मधुमेह रोगियों को कोई नुकसान नहीं होगा। उन्होंने बताया कि बांग्लादेश में लगभग 60 लाख लोग मधुमेह से पीड़ित हैं।

बीसीएसआईआर के अध्यक्ष चौधरी महमूद हसन के मुताबिक दुनियाभर में इस चाय पत्ती को मान्यता दी जा रही है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में इस चाय पत्ती का लगभग 62 अरब डालर का बाजार है।

समाचार एजेंसी 'जिनहुआ' के अनुसार लोगों को इस चाय पत्ती के सेवन से मोटापा दूर करने में भी मदद मिलेगी।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस

मेंढक की त्वचा के द्रव से मिला मधुमेह का इलाज

http://samachar.boloji.com/200803/18654.htm

मेंढक की त्वचा के द्रव से मिला मधुमेह का इलाज

न्यूयार्क, 7 मार्च (आईएएनएस)। मेंढक की त्वचा से निकलने वाले द्रव से 'डाइबिटीज' के रोगियों का इलाज हो सकेगा।

मेंढकों के ऊपर अध्ययन कर रहे अल्सटर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक का कहना है कि 'सियूडिस पैराडक्सा प्रजाति' के मेंढक की त्वचा में एक विशेष प्रकार का द्रव होता है, जो उसे संक्रमण के प्रभावों से बचाता है। लेकिन मनुष्य के शरीर में 'सियूडिन-2' नामक द्रव होने के कारण इसका अलग ही महत्व है।

शोधार्थियों ने पाया कि यह मनुष्य के शरीर में इंसुलिन को बढ़ाने का काम करता है जो मधुमेह के प्रभावों को रोकने का काम करता है।

विश्वविद्यालय के जैविक-चिकित्सा विभाग के प्रोफेसर यासर अब्दल वहाब ने कहा ''शोध के परिणाम बहुत उत्साहजनक हैं। हम मधुमेह-2 के इलाज खोजने के बहुत नजदीक पहुंच गए हैं।'' उन्होंने बताया कि इसके लिए और शोध की जरूरत है। जल्द ही मधुमेह दवा की खोज कर ली जाएगी और इसके अच्छे परिणाम आने की भी उम्मीद है।

खास बात यह है कि सियूडिस पैराडक्सा प्रजाति का यह मेंढक अपनी बढ़ती उम्र के साथ छोटा होता जाता है। उन्होंने आगे बताया कि लोगों को मधुमेह-2 से बचाने के लिए अब हमें आगे इसके इस्तेमाल पर ध्यान देने की आवश्यकता है। उनका विश्वास है कि यह दवा मधुमेह को रोकने के साथ-साथ, हृदयरोग, अंधापन आदि कई रोगों को दूर क रने में सहायक है। मधुमेह की बीमारी प्राय: मध्य आयु में मोटापे के कारण होता है।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस

मधुमेह के मरीजों को करानी चाहिए कैंसर की नियमित जांच

मधुमेह के मरीजों को करानी चाहिए कैंसर की नियमित जांच वाइसबाडेन (जर्मनी), 8 सितम्बर (आईएएनएस)। चिकित्सक मधुमेह के रोगियों को कैंसर की नियमित जांच कराने की सलाह देते हैं क्योंकि उनमें न केवल गुर्दे और संक्रामक बीमारियां होने की आशंका होती है वरन उन्हें टयूमर होने का खतरा भी अधिक होता है। मधुमेह के मरीजों में आंत के कैंसर की आशंका औरों से 30 फीसदी तक अधिक होती है जबकि उनमें पैंक्रियाज का कैंसर होने की आशंका सामान्य लोगों की तुलना में 700 फीसदी अधिक होती है। इन रोगियों में टाइप-2 मधुमेह से पीड़ित लोगों की संख्या अधिक है। जर्मनी के प्रोफेशनल एसोसिएशन आफ इंटरनिस्ट्स के अनुसार मधुमेह के मरीजों को 50 वर्ष की अवस्था के बाद हर पांच साल में कैंसर की जांच कराते रहना चाहिए। इसके अलावा उन्हें अपने मल में रक्त आने पर भी तुरंत जांच करानी चाहिए क्योंकि यह आंतों अथवा पेट में टयूमर का संकेत हो सकता है। समाचार एजेंसी डीपीए के अनुसार हालांकि अभी मधुमेह रोगियों में कैंसर की आशंका के प्रमुख कारणों की पहचान नहीं हो पाई है। संभवत: इंसुलिन की तगड़ी मात्रा शरीर में कैंसर की कोशिकाओं की वृध्दि में सहायक होती है। इंडो-एशियन न्यूज सर्विस

मधुमेह और हृदय रोग से बचना है तो जमकर खाईये फल और मछलियां

http://samachar.boloji.com/200806/18314.htm

मधुमेह और हृदय रोग से बचना है तो जमकर खाईये फल और मछलियां

लंदन, 2 जून (आईएएनएस)। फल, जैतून का तेल, अनाज, मछली और सब्जियां ज्यादा खाने वालों के टाइप -2 मधुमेह से पीडित होने की आशंका कम होती है। ये सभी खाद्य पदार्थ भूमध्य सागरीय क्षेत्र के आसपास रहने वालों के पारंपरिक भोजन में शुमार हैं।

शोधकर्ताओं ने सन 1999 से 2007 के बीच स्पेन की नवारा यूनिवर्सिटी के 13,000 से ज्यादा ऐसे छात्रों पर अध्ययन किया, जिन्हें मधुमेह नहीं था। दिसंबर 1999 से नवंबर 2007 के बीच उनके खान-पान की आदतों और स्वास्थ्य पर लगातार नजर रखी गयी।

शोधकर्ता हर दो साल में प्रतिभागियों को एक प्रश्नावली देते थे, जिसमें उनसे भोजन, जीवनशैली और स्वास्थ्य संबंधी प्रश्न पूछे जाते थे।

अध्ययन के दौरान पाया गया कि जिन प्रतिभागियों ने अपने खान-पान में बदलाव नहीं किया, उनमें मधुमेह होने की आशंका कम देखी गई, जबकि जिन लोगों ने अपने खाने संबंधी आदतें बदली थीं, उनमें मधुमेह की संभावना ज्यादा पाई गई।

अध्ययन के निष्कर्षो को 'ब्रिटिश मेडिकल' जर्नल वेबसाइट पर प्रकाशित किया गया है।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस

मधुमेह रोगी पेडिक्योर करवाएं मगर ध्यान से

http://samachar.boloji.com/200802/16686.htm
मधुमेह रोगी पेडिक्योर करवाएं मगर ध्यान से

नई दिल्ली, 6 फरवरी, (आईएएनएस)। आपको सुनने में भला ही अटपटा लगे लेकिन यह कहना गलत न होगा कि पैरों के सौंदर्य को बरकरार रखने के लिए किए जाने वाला 'पेडिक्योर' मधुमेह रोगियों के लिए काफी नुकसानदायक साबित हो रहा है।

विशेषज्ञों का कहना है कि पार्लरों में पेडिक्योर के लिए प्रयोग किए जाने वाले उपकरणों की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान नहीं दिया जाता है। यही नहीं एक बार साफ किए गए उपकरणों से कई लोगों के पेडिक्योर किए जाते हैं।

इस कारण कुछ जीवाणु लोगों के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं, ऐसे में मधुमेह रोगियों में लाइलाज अलसर होने का खतरा बढ़ जाता है।

'दिल्ली मधुमेह अनुसंधान केन्द्र' के अध्यक्ष डा. अशोक झिंगन ने कहा कि केवल मधुमेह के कारण ही प्रतिवर्ष 40 हजार टांगें खराब हो जाती है। उन्होंने बताया कि इस कारण मधुमेह रोगियों को पैरों का विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है।

इस बाबत आईएएनस ने दिल्ली के 10 प्रतिष्ठित ब्यूटी पार्लरों का दौरा किया तो पता चला कि केवल चार ब्यूटी पार्लर ही मधुमेह रोगियों का पेडिक्योर करने में विशेष सतर्कता बरतते हैं।

दिल्ली में 'फोर्टीज अस्पताल' में मधुमेह विभाग के अध्यक्ष अनूप मिश्रा कहते हैं कि अधिकांश सौंदर्य विशेषज्ञों व मधुमेह रोग पीड़ित 80 फीसदी महिलाओं को भी इस बात की जानकारी नहीं है।

वीएलसीसी की गुड़गांव स्थित शाखा की संचालिका बनीता वर्मा कहती हैं, ''हमारे पास आने वाले ग्राहक कभी नहीं बताते कि वह मधुमेह से पीड़ित हैं या फिर नहीं।''

हालांकि राष्ट्रीय राजधानी में विशेषज्ञों ने लोगों को जागरूक करने के लिए विशेष पहल भी शुरू कर दी है।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस

दूषित मछली के सेवन से मधुमेह का खतरा

I am trying to collect and archive al the available regional language content about diabetes in this blog to make it a regional portal for diabetes in India.
if any one has any objection to my posting theses articles please contact me and if you object I will remove the post .
the idea is to make the knowledge and news and information available to everyone in India and the world

http://samachar.boloji.com/200704/01968.htm

दूषित मछली के सेवन से मधुमेह का खतरा
न्यूयॉर्क, 14 अप्रैल
मनुष्य द्वारा निर्मित रसायनों को खाने और समुद्र में फैले औद्योगिक कचरे को खाने वाली मछलियों का सेवन करने से मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है। दक्षिण कोरिया के कुछ शोधकर्ताओं ने हाल ही में किए गए एक शोध में यह दावा किया है।
शोधकर्मियों के अनुसार अभी तक यह माना जा रहा था कि मोटापा मधुमेह का एक प्रमुख कारण है, लेकिन नए शोध के अनुसार उन व्यक्तियों को मधुमेह होने का खतरा ज्यादा होता है, जिनके शरीर में डीडीटी जैसे कीटनाशक और अन्य रसायन उच्च स्तर पर पाए जाते हैं। गौरतलब है कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान डीडीटी का विकास किया गया था। यह पहला कीटनाशक है, जिसका प्रयोग उस समय मच्छरों द्वारा फैलाई जाने वाली बीमारी मलेरिया को नियंत्रित करने के लिए किया गया था। हालांकि बाद में अमेरिका ने 1972 में डीडीटी के पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव के कारण प्रतिबंधित कर दिया था, लेकिन विकासशील देशों में मलेरिया जैसे रोगों की रोकथाम के लिए अभी भी डीडीटी का प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा पीसीबी (पॉली क्लोरिनेटेड बाई फिनाइल्स) ऐसे रसायन हैं, जिसका मछलियां सेवन करती हैं और जिसे आसानी से नष्ट नहीं किया जा सकता।
आहार विशेषज्ञों के अनुसार स्वास्थ्य के लिए एक खास प्रजाति, सलमोन मछलियां ही लाभदायक होती हैं। लेकिन इन मछलियों में भी पीसीबी का ऊच्च स्तर पाया जाता है। प्रतिबंध के बावजूद डीडीटी और पीसीबी जैसे कीटनाशक मिट्टी और समुद्र में पाए जाते हैं और भोज्य पदार्थो के रास्ते हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं। शोध करने वाले वैज्ञानिकों ने इंसुलीन और रसायनों के बीच संबंध की व्याख्या करते हुए कहा है कि मोटे व्यक्तियों में जिनमें रसायनों की मात्रा ज्यादा होती है, वे इंसुलीन की कमी का सामना कर सकते हैं। इसके अलावा इसके विपरीत जिन लोगों का वजन जरूरत से ज्यादा है, लेकिन जिनके खून में रसायनों की मात्रा कम है, उनमें यह संभावना नहीं पाई जाती।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस

machine translation sucks

some web sites have tried using google translate to give info in hindi from english artcles.
so far the translation is so bad it makes little sense .

but it has been somwhat useful as a draft to get to the finalk product for people like me who are rusty in hindi.

recently I got a beta hindi punjabi MT version from vishal goyal of punjab university may be some punjabis should look at this .
if they can convert some of the hindi content to punjabhi it will be helpful

मधुमेह लेख

मधुमेह ःवाः􀃘य अिभलेख
मधुमेह की देखरेख के आधारभूत मागर्दशर्क िस􀆨ांत नामक इस पच􀈸 की चचार् आपके िलए मधुमेह की देखरेख की 􀃥यवःथा करनेवाले 􀃥यि􀆠 के साथ करें तथा अपने नतीजों को िलखने के िलए इसका इःतेमाल करें। इसे मोड़कर अपने पसर् में रख लें।
मधुमेह पर िवजय पाएं !
खून में शक्कर के अभलेखों
का मूल्यांकन करें
(हर मुलाकात के दौरान)
लआय (भोजन के पूवर्):
िदनांक:
र􀆠 चाप
(हर मुलाकात के दौरान)
लआय:
िदनांक:
मूल्य:
वजन
(हर मुलाकात के दौरान)
लआय:
िदनांक:
मूल्य:
पैर की जांच
(हर मुलाकात के दौरान)
िदनांक:
ए1सी
िपछले तीन महीनों में र􀆠 में
शक्कर की माऽा मापने के िलए
र􀆠 परीक्षण (हर 3 महीने) लआय:
िदनांक:
मूल्य:
माइबोएलब्यूिमनूिरया
मूऽ गुदार् परीक्षण
(हर साल)
लआय:
िदनांक:
मूल्य:
िवःफािरत नेऽ परीक्षण
(हर साल)
िदनांक:
दांतों का परीक्षण
(हर छह महीने)
िदनांक:
􀇿दय रोगों के िलए महत्वूणर् वसा को मापने के िलए र􀆠 परीक्षण
कोलेःशोल
(हर साल)
लआय:
िदनांक:
मूल्य:
शाइिग्लसराइड्स
(हर साल)
लआय:
िदनांक:
मूल्य:
एचडीएल/एलडीएल
(हर साल)
लआय:
िदनांक:
मूल्य:
􀃝लू के िलए इंजेक्शन
(हर साल)
िदनांक:
िनमोिनया के िलए टीका
(कम से कम एक बार/डाक्टर से पूछें)
अन्य

युवाओं में बढ़ रहा है मधुमेह

मधुमेह की बीमारी अब एशिया में भी अपनी जड़ें जमाने लगी हैं लेकिन पश्चिम के विपरीत इस क्षेत्र में मधुमेह से पीड़ित समुदाय में युवाओं की संख्या अधिक है। वे मोटापे का भी शिकार नहीं हैं। यदि यही स्थिति रही तो वर्ष 2025 तक अकेले भारत में मधुमेह पीड़ितों की संख्या वर्ष 2007 में चार करोड़ के मुकाबले बढ़कर सात करोड़ हो जाएगी। जर्नल आफ अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन में प्रकाशित शोध रिपोर्ट में बताया गया है कि मधुमेह की बीमारी ने वैश्विक समस्या का रूप ले लिया है तथा वर्ष 2025 में इस बीमारी से पीड़ित मरीजों की संख्या वर्ष 2007 के 24 करोड़ के मुकाबले 38 करोड़ तक पहुंच जाने की आशंका है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन मरीजों में से 60 फीसद से अधिक एशिया में होंगे जो दुनिया का तेजी से विकसित होता क्षेत्र है। कम और मध्यम आय वाले देश इससे बुरी तरह प्रभावित होंगे। भारत में मधुमेह पीड़ित मरीजों की संख्या चार करोड़ से सात करोड़ चीन में तीन करोड़ 90 लाख से बढ़कर पांच करोड़ 90 लाख और बांग्लादेश में तीन करोड़ 80 लाख से बढ़कर सात करोड़ 40 लाख तक हो जाएगी। लेखक ने अंतरराष्ट्रीय मधुमेह संघ के आंकड़ों का उल्लेख करते हुए यह बात कही है। एशियाई क्षेत्र में इंडोनेशिया, फिलीपिंस, मलेशिया, वियतनाम तथा अन्य पड़ोसी देशों में मधुमेह के रोगियों की संख्या में भारी इजाफा होगा।हार्वर्ड स्कूल आफ पब्लिक हेल्थ में प्रोफेसर फैंक हू ने कहा है कि मधुमेह की बीमारी का संबंध दिल की बीमारी ह्म्द्याघात और गुर्दा फेल होने जैसी गंभीर समस्याओं से है। इन बीमारियों का इलाज भी काफी महंगा साबित होता है।जेएएमए शोध से यह भी पता चलता है कि एशियाई क्षेत्र में मधुमेह बीमारी के जोर पकड़ने के पीछे आनुवांशिक कारक धूम्रपान एवं बढ़ता शहरीकरण जिम्मेदार है। लेकिन शोध की सबसे अधिक चौंकाने वाली बात यह है कि यह बाडी मास और उम्र के अनुसार अलग अलग देशों में अलग अलग तरह से लोगों को प्रभावित करता है।

with some modifications from india development website

మధుమేహ వ్యాధి / dayabeTisu
మధుమేహ వ్యాధిని - చెక్కర వ్యాది, షుగర్ వ్యాధి అని సాధారణంగా అంటూ వుంటారు.
కారణాలు
1. శరీరములో ఉత్పత్తి అయే ఇన్సులిన్ హార్మోను - శరీరములోని షుగర్ ను సమతుల్యము చేసి, అవసరానికి షుగర్ అందుబాటులో వుండునట్లు చేయుటలో ఇన్సులిన్ ప్రధానపాత్ర వహిస్తుంది.
2. శరీరంలో ఇన్సులిన్ శాతం తగ్గిన laedaa
ఉత్పత్తి అయిన ఇన్సులిన్ శరీరంలోని కణాలు సరిగ వినియోగించుకోక పోవడం వలన - మధుమేహ వ్యాధి వస్తుంది.

సాధారణంగా మధుమేహం ఎవరికి వస్తుంది?
1. అధిక బరువు వున్న వాళ్ళు - చిన్నవారైన - పెద్దవారికైన రావచ్చు.
2. మానసిక వత్తిడికి లోనైనవారు.
3. శారీరక శ్రమ లేనివారికి (sedentary jobs).
4. కొన్ని సందర్భాలలో - వారసత్వంగా కూడా ఈ వ్యాధి రావచ్చును.
5. అవసరమైన మోతాదులకన్నా - ఎక్కువగా ఆహారము తినేవాళ్ళకు.
6. తరచుగా జబ్బులతో బాధపడువారు రోగనిరోధక శక్తిని కోల్పోయి - మధుమేహ వ్యాధి రావచ్చును
7. కొన్ని రకాల మందులు దీర్ఘకాలం వాడడం వలన ఈ వ్యాధి రావచ్చును.

మధుమేహ వ్యాధి లక్షణాలు
1. ఆకలి ఎక్కువగా వుండి - చాలా మార్లు, ఎక్కువగా ఆహారం తీసుకోవడం
2. సాధారణం కన్నా ఎక్కవగా నీరు దప్పికకావడం - ఎక్కువగా నీరు త్రాగడం
3. ఎక్కువసార్లు మూత్రవిసర్జకు వెళ్ళడం.
4. కొంతమందిలో బరువు తగ్గడం, గాయం తగిలిన సరిగా మానకపోవడం - త్వరగా తగ్గకపోవడం.
5. నీరసంగా,నిస్త్ర్రాణంగావుండడం, స్త్ర్రీలలో అసాధారణంగా తెల్లబట్ట(white discharge)
6. తరచుగా చర్మ వ్యాధులు రావడం
7. కొందరిలో కాళ్ళు - చేతులు ముఖ్యంగా పాదాలు అరచేతులు తిమ్మిరిగా వుండడం.
8. ఏదైనా పని చేయాలన్న - చికాకు, అసహనము కలిగి త్వరగా అలసిపోవడం, వంటి లక్షణాలలో ఏ లక్షణాలైనా వుండవచ్చును.

మధుమేహం వలన ఎక్కువ శాతం అన్ని అవయవాలకు అనారోగ్యం కలిగే అవకాశం వుంది.
ముఖ్యమైన అవయవాలు:-
మూత్ర పిండాలు
గుండె
రక్త నాళాలు
కళ్ళు - కంటిలో రక్త నాళాలు, నరాలు
కాళ్ళు, పాదాల నరాల కు మధుమేహప్రభావం కారణంగా - గాయం అయినా, పుండు అయినా - మానకపోవడం లేదా నిదానంగా మానడం జరుగుతుంది.
తీసుకోవలసిన జాగ్రత్తలు:-
వీలైనంత త్వరగా లక్షణాలను గుర్తించి, ఏ రకమైన మధుమేహమో, నిర్ధారించుకోవలసిన అవసరం వుంది - డాక్టరును సంప్రదించి వ్యాధినిర్ధారణ, వైద్యం చేయించుకోవడం ప్రధానము.
శారీర కష్టం చేయనివారు, క్రమంతప్పక వ్యాయామం (అంటేనడక) చేయాలి. ప్రతిరోజు సుమారు 30 నిమిషాలు జోరుగా నడవాలి (Brisk walk). కనీసం వారంలో 5-6 రోజులు నడక వ్యాయామం చేయాలి.
పాదరక్షల lopali భాగము మెత్తగా స్పాంజిలాగా/maikro sellular వుండే విధంగా చూడాలి.
పాదాలు ఎల్లప్పుడు శుభ్రంగా వుంచుకొని - వీలైనప్పుడు డాక్టరును సంప్రదించి రక్తపరీక్షలు -మూత్రపరీక్షలు చేయించుకోవాలి.
క్రమం తప్పక వైద్యం చేయించుకోవాలి.
మితంగా అహారం తీసుకోవాలి.
"కడుపు నిండకూడదు - ఖాళీ వుండకూడదు" అన్న నానుడికి అనువుగా ఆహారపు అలవాట్లు అలవరచుకోవాలి.

ఆహారంలో తీసుకోవలసిన పదార్ధాలు
ఆకు కూరలు, వంకాయ, బెండ, కాకర, పొట్ల, కాబేజి, దొండకాయ, మునగకాడలు, టమాట, కాలిఫ్లవర్ మొదలగునవి -

ఆహారములో తీసుకోకూడని పదార్ధాలు
పంచదార, తీపిపదార్ధాలు, బెల్లం, జీడిపప్పు, బాదం, కొబ్బరి నీళ్ళు, హార్లిక్స్ లాంటి పొడి పదార్ధాలు, అరటి, మామిడి, సపోటా, సీతాఫలం, ద్రాక్షవంటి పండ్లు, బిస్కట్లు, చాక్లెట్, కేకులు మొ"నవి, బంగాళాదుంప, నెయ్యి, ఇతర నూనె పదార్ధాలు.

తీసుకోవలసిన జాగ్రత్తలు :
చర్మం - ప్రత్యేకమైన జాగ్రత్తలు ఎందుకు అనగా గ్లూకోస్ రక్తం లో ఎక్కువ మెతాదు లో ఉన్నందున సూక్ష్మ క్రిములు (అనగా బాక్టీరియా) ఫంగస్ ఎక్కువ ఉత్పత్తి అవడం జరుగుతుంది. సామాన్యం గా మధుమేహ వ్యాధి గ్రస్తులకు వ్యాధి నిరోధక శక్తి తగ్గినందువలన సూక్ష్మ క్రిముల తో పోరాడడం తగ్గుతుంది.
అందు వలన చర్మం ఎప్పుడు సుభ్రంగా ఉంచాలి
చర్మం రంగు మారినా, మందంగా ఉన్నా
చర్మం పై బొబ్బలు ఉన్నా
చర్మం ఎర్రగా వాపు ఉండి, వేడిగా ఉన్నా ఇది చర్మం ఇన్ ఫెక్షన్ అయిఉండవచ్చు
గజ్జలలో దురద స్త్రీ మర్మాంగ అవయవాలలో చంకలలో కాలి వేళ్ళ మధ్య దురదలు ఎక్కువగా ఉన్నా
దెబ్బ తగిలి మానకుండా ఉన్నా
వెంటనే డాక్టర్ సలహా పొందాలి (చర్మవ్యాధి డాక్టర్ )
ప్రతి రోజూ క్రమం తప్పకుండా గోరు వెచ్చని నీళ్ళ తో సున్నితమైన సబ్బు వాడి స్నానం చేయాలి, మరిగే నీళ్ళు వాడరాదు.
స్నానం అయిన తరువాత మెత్తటి సుభ్రమైన పొడి బట్టతో తడి అంతా తుడుచుకోవాలి, శరీరం పై ఎక్కడా నెమ్ము ఉండరాదు. ప్రత్యేకంగా చర్మం ముడతలలో, తడి ఉన్నచో చర్మం దురదతో గోకిన చొ బాక్టీరియల్ ఇన్ ఫెక్షన్ రావచ్చు.
ఎక్కువ నీరు త్రాగటం అలవాటు చేసుకోవాలి , చర్మం ఎండి పోయినట్లు ఉండదు

మధుమేహ వ్యాధి గ్రస్ధులు – తీసుకొవలసిన ఆహారం

మధుమేహ వ్యాధి గ్రస్ధులు – తీసుకొవలసిన ఆహారం
నీరు కావలసినంత మొతాదు ( రోజుకు సుమారు 8 గ్లాసులు )
వీరు తీసుకొనే ఆహారంలో పిండి పదార్ధాలు తక్కువగా ఉండి సంపూర్ణ ఆహారమై ఉండాలి
వీరు తీసుకొనే ఆహారం వారి చికిత్స పై ఆధారపడి ఉంటుంది
వీరు తీసుకొనే ఆహారంలో ముఖ్యంగా ఈ క్రింద చూపబడినవి తగు పాళ్ళలో ఉండాలి : ఉదాహరణకు
పదార్ధాలు
( గ్రా ) శాకాహారులు
( గ్రా ) మాంశాహరము
గింజ ధాన్యాలు
200
250
పప్పు ధాన్యాలు
60
20
ఆకు కూరలు
200
200
పండ్లు
200
200
పాలు
400
200
నూనెలు
20
20
చేపలు/ కోడి మాంసము చర్మం లేకుండా
-
100
మిగతా కూరగాయలు
200
200

పైన చెప్పిన ఆహారం లో శక్తి
మొత్తం కాలరీస్
1600
మాంసకృత్తులు
65gs
కొవ్వు
40gs
పిండి పదార్ధాలు
245gs

5102 रोगियों को 20 साल अध्ययन बाद यू. के. पी. डी. स्टडी

5102 रोगियों को 20 साल अध्ययन बाद यू. के. पी. डी. स्टडी
मधुमेह ko नियन्त्रित रख ne se
Sabhi दुष्परिणामों से बच सकते है
माइक्रोवासकुलर दुष्परिणामों से बच सकते है
अन्धेपन से बच सकते है
स्ट्रोक से बच सकते है
हॄदयाघात से बच सकते है

मधुमेह में शिक्षा ज्यादा जरुरी है, सही जानकारी से आप अपने को स्वस्थ रख सकते है।

GO vegetarian and avoid cancer !

from BBC
Vegetarians 'avoid more cancers'

About half of the participants were vegetarians
Vegetarians are generally less likely than meat eaters to develop cancer but this does not apply to all forms of the disease, a major study has found.
The study involving 60,000 people found those who followed a vegetarian diet developed notably fewer cancers of the blood, bladder and stomach.
But the apparently protective effect of vegetarian did not seem to stretch to bowel cancer, a major killer.
The study is published in the British Journal of Cancer.
Researchers from universities in the UK and New Zealand followed 61,566 British men and women. They included meat-eaters, those who ate fish but not meat, and those who ate neither meat nor fish.
VEGETARIANS GOT NOTABLY FEWER OF THESE CANCERS:
Stomach
Bladder
Non-Hodgkin's lymphoma
Multiple myeloma
Overall, their results suggested that while in the general population about 33 people in 100 will develop cancer during their lifetime, for those who do not eat meat that risk is reduced to about 29 in 100